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महाराष्ट्र सरकार का फैसला: स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी हिंदी, शैक्षणिक सत्र 2025-26 से होगा लागू

महाराष्ट्र सरकार का फैसला: स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी हिंदी, शैक्षणिक सत्र 2025-26 से होगा लागू

महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से स्कूलों में पहली से पांचवीं तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का निर्णय लिया है। छात्रों को विकल्प मिलेगा।

Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से एक नई भाषा नीति लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगी बल्कि इसे 'सामान्य रूप से' शामिल किया जाएगा। इसका अर्थ है कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन छात्रों को विकल्प भी मिलेगा।

अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प भी उपलब्ध

संशोधित सरकारी आदेश में यह प्रावधान भी जोड़ा गया है कि यदि किसी स्कूल में किसी कक्षा के 20 या उससे अधिक छात्र हिंदी के स्थान पर किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ना चाहें, तो उन्हें यह विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा। ऐसी स्थिति में उस भाषा के लिए शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी या फिर भाषा को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जाएगा।

शिक्षा मंत्री ने दिया स्पष्ट पक्ष

स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने सरकार के इस निर्णय का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हिंदी एक व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है और इसे सीखने से छात्रों को उच्च शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में लाभ मिलेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों में मराठी पढ़ाई नहीं जा रही है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मराठी संगठनों और विपक्ष की नाराजगी

इस फैसले के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे), कांग्रेस और कई मराठी संगठनों ने सरकार की आलोचना की है। इनका आरोप है कि सरकार पहले हिंदी को अनिवार्य न करने की बात कह चुकी थी लेकिन अब 'पिछले दरवाजे' से इस नीति को लागू किया जा रहा है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर मराठी अस्मिता के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह फैसला मराठी भाषियों के हितों के खिलाफ है।

राज ठाकरे ने दी चेतावनी

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि राज्य में हिंदी को जबरन थोपने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

मुख्यमंत्री ने दी सफाई

विवाद के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सफाई देते हुए कहा है कि छात्रों के लिए हिंदी सीखना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी छात्र किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकता है। उन्होंने इस पूरे विवाद को अनावश्यक बताया और कहा कि सरकार केवल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है।

राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2024 के तहत लिया गया निर्णय

महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में 'स्कूल शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2024' को लागू किया है। यह निर्णय उसी का हिस्सा है। इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा में भाषा कौशल को मजबूत करना है और छात्रों को बहुभाषी वातावरण में आगे बढ़ने के लिए तैयार करना है।

मराठी भाषा बनी रहेगी अनिवार्य

नई नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मराठी भाषा राज्य के सभी माध्यमों के स्कूलों में अनिवार्य रहेगी। इसका अर्थ है कि मराठी को हटाने या उसके स्थान पर हिंदी लाने की कोई योजना नहीं है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ एक राष्ट्रीय भाषा का भी ज्ञान मिले।

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