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फतेहपुर मकबरे में तोड़फोड़: चंद्रशेखर आजाद ने यूपी सरकार पर साधा निशाना, कहा- ‘1992 जैसा हालात दोहराना चाहती है सरकार’

फतेहपुर मकबरे में तोड़फोड़: चंद्रशेखर आजाद ने यूपी सरकार पर साधा निशाना, कहा- ‘1992 जैसा हालात दोहराना चाहती है सरकार’

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सोमवार को नबाब अब्दुल समद के मकबरे में हिंदू संगठनों द्वारा हुई तोड़फोड़ का मामला तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि प्रदेश भर में भी चिंता और विवाद को जन्म दिया है।

Fatehpur Mazar Vandalism: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में नबाब अब्दुल समद के मकबरे में हिन्दू संगठनों द्वारा तोड़फोड़ की घटना ने राजनीतिक और सामाजिक गर्माहट बढ़ा दी है। इस मामले में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने इसे सरकार की सहमति से हुई घटना बताते हुए इसे कानून व्यवस्था की नाकामी और राजनीतिक साजिश करार दिया है।

चंद्रशेखर आजाद ने कही बड़ी बातें

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि इतनी बड़ी घटना खुलेआम हो रही है, लेकिन पुलिस, इंटेलिजेंस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां कहां थीं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सरकार की साजिश के तहत किया गया है ताकि जनता के बुनियादी मुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास से ध्यान हटाया जा सके।

आजाद ने कहा,

'इतनी बड़ी घटना एलानिया हो गई और सुरक्षा एजेंसियां दबी-छुपी कैसे रह सकती हैं? यह साफ़-साफ़ सरकार की मंशा है ताकि हम बुनियादी सवालों पर बात न कर सकें। यह वही तरीका है जो 1992 में भी अपनाया गया था।'

पुलिस की दोहरी नीति पर सवाल

चंद्रशेखर आजाद ने पुलिस प्रशासन की दोहरी नीति पर भी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि जब वे या अन्य विपक्षी नेता प्रदर्शन करते हैं तो भारी पुलिस बल और बैरिकेडिंग लगाई जाती है, लेकिन जब फतेहपुर में तोड़फोड़ हुई तो वहां पुलिस ने कुछ नहीं किया। उन्होंने इसे ‘सरकार की खुली छूट’ बताया।  उनका कहना था कि सरकार ने जानबूझकर धार्मिक तनाव को बढ़ावा दिया है ताकि आम जनता के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। यह सब एक सुनियोजित चाल है, जिसमें कानून-व्यवस्था का बहाना बनाया जा रहा है।

धार्मिक तनाव की आशंका और सामाजिक असर

फतेहपुर के नबाब अब्दुल समद के मकबरे को कुछ हिन्दू संगठनों ने मंदिर बताकर बड़ी संख्या में पहुंचकर पूजा-अर्चना की और तोड़फोड़ की। इससे इलाके में दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया है। पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लेने की कोशिश की और लोगों को शांत कराया, लेकिन इलाके में अभी भी तनाव बरकरार है।

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार पर धार्मिक तनाव भड़काने का आरोप लग रहा है। चंद्रशेखर आजाद के तेवर इस बात का संकेत देते हैं कि वे इस मामले को संसद या विधान सभा में भी उठाने वाले हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वे इस घटना के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे और सरकार की इस कथित मंशा को उजागर करेंगे। साथ ही उन्होंने न्याय व्यवस्था से भी मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले।

चंद्रशेखर आजाद ने साफ शब्दों में कहा कि यह घटना 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना को दोहराने की कोशिश है, जिसमें देश में व्यापक सामाजिक और धार्मिक तनाव पैदा हुआ था। उनका मानना है कि सरकार राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रही है।

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