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राजस्थान छात्रसंघ चुनाव रद्द: राजस्थान में छात्रों का प्रदर्शन तेज़, डिप्टी सीएम बैरवा ने दिया कड़ा बयान

राजस्थान छात्रसंघ चुनाव रद्द: राजस्थान में छात्रों का प्रदर्शन तेज़, डिप्टी सीएम बैरवा ने दिया कड़ा बयान

राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव को लेकर सियासत गरमाई, डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने कहा वर्तमान हालात चुनाव के अनुकूल नहीं। सचिन पायलट के नेतृत्व में एनएसयूआई का जोरदार प्रदर्शन।

राजस्थान छात्रसंघ चुनाव रद्द: राजस्थान में छात्र संघ चुनाव न होने को लेकर उठे विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है। जहां एक ओर एनएसयूआई के छात्र नेता सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं राज्य के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने साफ कर दिया है कि मौजूदा परिस्थितियों में छात्र संघ चुनाव कराना सरकार की प्राथमिकता नहीं है। इस बयान ने कांग्रेस के भीतर ही हलचल मचा दी है, खासकर तब जब सचिन पायलट खुद छात्रों के समर्थन में मोर्चा संभाले हुए हैं।

जयपुर के शहीद स्मारक पर मंगलवार को एक विशाल प्रदर्शन हुआ, जिसमें पायलट के नेतृत्व में हजारों की संख्या में छात्र शामिल हुए। इस दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को वाटर कैनन का प्रयोग करना पड़ा। वहीं बैरवा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान चुनाव न कराने के पीछे कारण गिनाए और पलटवार करते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर ही सवाल दाग दिए।

बैरवा का बड़ा बयान: वर्तमान हालात में छात्रसंघ चुनाव संभव नहीं

उच्च शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने छात्र संघ चुनाव को लेकर सरकार की मंशा को पूरी तरह स्पष्ट करते हुए कहा, 'राज्य में छात्र राजनीति को लेकर जो माहौल बना है, वह तनावपूर्ण है। ऐसे में चुनाव कराना छात्रों के हित में नहीं होगा।' उन्होंने आगे कहा कि सरकार की प्राथमिकता इस समय शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाना है, न कि चुनावी गतिविधियों में छात्रों को उलझाना। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'बीजेपी सदैव छात्रों के साथ खड़ी रही है और उनकी शिक्षा तथा करियर के मुद्दों को प्राथमिकता देती रही है।'

गहलोत-पायलट की नीति का नतीजा: बैरवा का सियासी वार

बैरवा ने बिना लाग-लपेट के कहा कि छात्र संघ चुनावों पर रोक कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह वही नीति है जिसे कांग्रेस की पिछली सरकार ने अपनाया था। उस समय गहलोत मुख्यमंत्री थे और पायलट उपमुख्यमंत्री। अगर तब चुनाव नहीं हुए तो अब सवाल उठाना कैसा?' उन्होंने पूछा कि जब पायलट खुद सत्ता में थे, तब उन्होंने छात्र संघ चुनावों की पैरवी क्यों नहीं की? अब जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो यह मुद्दा उन्हें क्यों याद आया? उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों की आवाज़ को अपनी सियासत की सीढ़ी बनाने की कोशिश हो रही है।

जयपुर में प्रदर्शन के दौरान मचा हंगामा

मंगलवार को एनएसयूआई ने शहीद स्मारक पर छात्र जनसभा का आयोजन किया, जिसमें टोंक विधायक सचिन पायलट भी पहुंचे। वहां छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है और छात्र संघ चुनावों से डर रही है। इसके बाद पायलट की अगुवाई में छात्रों का हुजूम मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ा, लेकिन पहले से तैनात पुलिस ने उन्हें रोका। वाटर कैनन से प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की गई। पुलिस और छात्र नेताओं के बीच तीखी झड़पें भी हुईं। कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया।

छात्रों का आरोप: लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन

एनएसयूआई नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर चुनाव नहीं करवा रही क्योंकि उसे छात्रों की बढ़ती जागरूकता और भागीदारी से डर है। एक छात्र नेता ने कहा, 'छात्र संघ चुनाव युवाओं की आवाज़ हैं। इन्हें रोकना लोकतंत्र के खिलाफ है। सरकार अगर सच में शिक्षा के हित में है, तो उसे छात्रों को प्रतिनिधित्व का मौका देना चाहिए।'

राजनीतिक विश्लेषण: सियासत बनाम छात्र हित

राजस्थान में छात्र संघ चुनाव लंबे समय से एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल होते रहे हैं। हर बड़ी पार्टी अपने छात्र संगठनों के ज़रिए विश्वविद्यालयों में पकड़ बनाने की कोशिश करती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हिंसा, अनुशासनहीनता और प्रशासनिक चुनौतियों का हवाला देकर कई बार चुनावों को टाल दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ छात्रों का मुद्दा नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने का माध्यम बन गया है। पायलट इस मंच के ज़रिए अपनी राजनीतिक सक्रियता दिखा रहे हैं, तो वहीं बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार इस पर अंकुश लगाकर अपना प्रशासनिक नियंत्रण मजबूत करना चाहती है।

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