Columbus

राजस्थान में खांसी की सिरप की गुणवत्ता पर विवाद, चिकित्सा मंत्री ने दिए सख्त निर्देश

राजस्थान में खांसी की सिरप की गुणवत्ता पर विवाद, चिकित्सा मंत्री ने दिए सख्त निर्देश

राजस्थान में खांसी की सिरप की गुणवत्ता विवाद पर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विस्तार से बयान दिया। दोषी बैचों पर रोक लगाई गई, गुणवत्ता जांच तेज की गई और बच्चों को सुरक्षित दवा उपलब्ध कराने के लिए सख्त कदम उठाए गए।

जयपुर: राजस्थान में खांसी की सिरप की गुणवत्ता को लेकर हाल ही में विवाद उभरा है। कुछ जिलों में मरीजों ने सिरप के सेवन के बाद उल्टी, चक्कर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायतें की हैं। इस पर राज्य सरकार ने संबंधित बैचों की सप्लाई तुरंत रोक दी और कंपनी की सभी दवाओं के वितरण पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले में विस्तृत बयान देते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकता आम जनता का स्वास्थ्य है और किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दवा की गुणवत्ता पर राज्य सरकार की कार्रवाई

राजस्थान सरकार ने शिकायतें मिलने के तुरंत बाद संबंधित खांसी की दवा के बैचों की सप्लाई रोक दी। भरतपुर और सीकर से आए मरीजों की रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने वैधानिक नमूने जांच के लिए लैब भेजे। चिकित्सा मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी की जा रही है और किसी भी असामान्य स्थिति पर तुरंत कदम उठाया जाता है।

सरकार ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता के लिए फुल प्रूफ सिस्टम लागू है। इसके अंतर्गत हर बैच का सैंपल आरएमएससीएल द्वारा जाँचा जाता है और मानक पर खरा उतरने के बाद ही रोगियों को वितरित किया जाता है।

कंपनी और दवा की जांच 

सुपरवाइजरी जांच में पाया गया कि डेक्सट्रोमैथोर्फन HBr सिरप IP 13.5mg/5ml के संबंधित बैच मानक गुणवत्ता के हैं। बावजूद इसके, एहतियात के तौर पर विभाग ने कंपनी कायसन फार्मा की सभी 19 दवाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया। यह कदम राज्य सरकार की गंभीरता और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, 2012 से अब तक इस कंपनी के 10,119 सैंपल लिए गए, जिनमें से केवल 42 अमानक पाए गए हैं। इससे पता चलता है कि कंपनी सामान्यतः मानक का पालन करती रही है, लेकिन राज्य सरकार ने किसी भी जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया।

बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा

हाल ही में केंद्र सरकार और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की एडवाइजरी के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमैथोर्फन दवा नहीं दी जानी चाहिए। राजस्थान सरकार ने भी इस दिशा में सख्त निर्देश जारी किए हैं और चिकित्सकों को केवल उचित परामर्श के बाद दवा प्रिस्क्राइब करने की हिदायत दी है।

इसके अलावा, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकने वाली दवाओं पर चेतावनी अंकित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य सरकार ने वैकल्पिक खांसी दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने और सीओपीडी जैसी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की सप्लाई नियंत्रित करने की योजना बनाई है।

दवा विवाद पर प्रशासनिक कार्रवाई

मानक प्रभावित होने के आरोप में औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आम जनता के स्वास्थ्य के मामलों में संवेदनशील और सतर्क है और किसी भी संभावित खतरे के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करती है।

भविष्य की रणनीति के तहत सरकार ने दवा वितरण प्रणाली और गुणवत्ता जांच को और अधिक मजबूत करने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत रैंडम जांच, बैच ट्रैकिंग और मरीजों से फीडबैक एकत्र करना शामिल है। सरकार का लक्ष्य है कि राज्य में सभी नागरिक सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें।

Leave a comment