रक्षाबंधन के दिन मां गायत्री की जयंती भी मनाई जाती है, जिन्हें वेदों की जननी और ज्ञान की देवी कहा गया है। 2025 में यह पर्व 9 अगस्त को पड़ेगा। मान्यता है कि इसी दिन गायत्री माता प्रकट हुई थीं। इस शुभ अवसर पर विशेष पूजन से बुद्धि, विवेक और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गायत्री जयंती: सनातन धर्म के अनुसार, 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के साथ-साथ मां गायत्री की जयंती भी मनाई जाएगी। यह तिथि इसलिए विशेष मानी जाती है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन वेदमाता गायत्री का प्राकट्य हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है। रक्षाबंधन जहां भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, वहीं गायत्री जयंती ज्ञान, तप और चेतना का पर्व है। इस दिन भक्त मां गायत्री की पूजा कर शुभ बुद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
क्यों मनाई जाती है गायत्री जयंती?
गायत्री माता को वेदों की जननी माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी ने जब यज्ञ की स्थापना की, तब उन्हें उसे पूरा करने के लिए एक सशक्त मंत्र शक्ति की आवश्यकता पड़ी। उसी समय गायत्री माता प्रकट हुईं और ब्रह्मा जी को यज्ञ सम्पन्न कराने में सहायता की। तब से उन्हें वेदमाता कहा जाने लगा।
गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं' को सभी मंत्रों में सर्वोच्च माना गया है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक जागरण का माध्यम है, बल्कि मानसिक शुद्धि और आत्मिक बल की कुंजी भी है।
क्यों रक्षाबंधन के दिन ही होती है पूजा?
श्रावण पूर्णिमा को दो महत्वपूर्ण पर्व एक साथ आते हैं रक्षाबंधन और गायत्री जयंती। रक्षाबंधन जहां बहनें भाई की लंबी उम्र और रक्षा के लिए राखी बांधती हैं, वहीं उसी दिन मां गायत्री की पूजा से आत्मा की रक्षा, ज्ञान का विस्तार और आंतरिक चेतना का विकास होता है।
सनातन मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि रक्षाबंधन पर केवल बाह्य सुरक्षा नहीं, बल्कि आत्मिक और बौद्धिक सुरक्षा के लिए भी प्रयास जरूरी है — इसलिए गायत्री माता की पूजा का विशेष महत्व है।
कैसे करें मां गायत्री की पूजा?
गायत्री जयंती पर विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यहां बताया जा रहा है सरल पूजा विधि:
- लाल या पीले कपड़े से सजी चौकी पर गायत्री माता की प्रतिमा स्थापित करें।
- एक कलश में सुपारी, जल, अक्षत और पुष्प भरकर चौकी के पास रखें।
- घी का दीपक और धूप प्रज्वलित करें।
- हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत व पूजा का संकल्प लें।
- मां को चंदन, कुमकुम, फूल, फल व नैवेद्य अर्पित करें।
- गायत्री व्रत कथा का पाठ करें और आरती उतारें।
- प्रसाद वितरण कर दिनभर संयम और श्रद्धा बनाए रखें।
- गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें:
- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
गायत्री जयंती और रक्षाबंधन के दिन कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जिनमें पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:49 से 05:33 तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:18 से 01:10 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:53 से 03:44 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:10 से 07:32 तक
इन मुहूर्तों में से किसी एक में मां गायत्री की पूजा करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है।