वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। हालांकि, पुरस्कार की घोषणा के तुरंत बाद ही वह विवादों में घिर गई हैं। मारिया पर आरोप है कि वह इजरायल द्वारा गाजा पर की जा रही बमबारी की समर्थक रही हैं।
कराकास: वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो (Maria Corina Machado), जिन्हें हाल ही में 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) मिला है, अब बड़े विवाद में फंस गई हैं। मचाडो को यह सम्मान वेनेजुएला में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के लिए दिया गया था।
लेकिन गाजा पर इजरायली बमबारी का समर्थन करने और अपने देश में सरकार बदलने के लिए विदेशी हस्तक्षेप की मांग करने के कारण उनके खिलाफ आलोचनाओं की लहर उठ खड़ी हुई है।
क्यों मिला मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार?
नोबेल समिति ने शुक्रवार को घोषणा की कि मारिया कोरिना मचाडो को “तानाशाही शासन के खिलाफ साहसिक संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके अदम्य प्रयासों” के लिए इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। समिति ने अपने बयान में कहा, पिछले कुछ वर्षों में मचाडो को छिपकर रहना पड़ा, उनकी जान को खतरा था, फिर भी उन्होंने वेनेजुएला नहीं छोड़ा। उनका संघर्ष न केवल वेनेजुएला बल्कि पूरी दुनिया के लोकतंत्र समर्थकों के लिए प्रेरणास्रोत है।
मारिया मचाडो वेनेजुएला की विपक्षी पार्टी “Vente Venezuela” की प्रमुख चेहरा हैं और लंबे समय से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन की आलोचक रही हैं।
ट्रंप को समर्पित किया नोबेल, अमेरिका में बढ़ा विवाद
नोबेल पुरस्कार की घोषणा के तुरंत बाद मचाडो ने यह सम्मान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि “ट्रंप ने दुनिया में स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए जो काम किया है, वह अद्वितीय है। इस बयान के बाद अमेरिकी राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई। व्हाइट हाउस ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि नोबेल समिति ने राजनीति को शांति से ऊपर रख दिया है।
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मारिया कोरिना मचाडो एक साहसी महिला हैं, जिन्होंने अत्याचार के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया। मैं उनके लिए गर्व महसूस करता हूं।
इजरायल के समर्थन पर उठे सवाल
मारिया मचाडो की सबसे बड़ी आलोचना गाजा में इजरायली हमलों के समर्थन को लेकर हो रही है। वह लंबे समय से इजरायल की कट्टर समर्थक रही हैं. उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि “वेनेजुएला का संघर्ष इजरायल के संघर्ष जैसा है। 2023 में अपने एक पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि “इजरायल आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की उम्मीद है।
हाल ही में गाजा पर बमबारी के दौरान भी उन्होंने इजरायल का बचाव किया और कहा कि “हमारा संघर्ष स्वतंत्रता और सभ्यता की रक्षा के लिए है। उनकी इन टिप्पणियों ने अरब देशों, मुस्लिम समुदायों और मानवाधिकार संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा की है।
मानवाधिकार संगठनों ने की पुरस्कार वापस लेने की मांग
अमेरिका आधारित संगठन Council on American-Islamic Relations (CAIR) ने नोबेल समिति से मचाडो का पुरस्कार वापस लेने की मांग की है।
संगठन ने कहा, एक ऐसी व्यक्ति को शांति पुरस्कार देना जो गाजा में इजरायली हमलों का समर्थन करती है, नोबेल पुरस्कार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है। मध्य-पूर्व के कई राजनीतिक विश्लेषकों ने भी यह सवाल उठाया है कि क्या किसी ऐसे नेता को ‘शांति का प्रतीक’ कहा जा सकता है जो युद्ध का समर्थन करता हो।
2018 में उन्होंने इजरायल और अर्जेंटीना की सरकारों को पत्र लिखकर वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को हटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की थी। उन्होंने सार्वजनिक मंचों से बार-बार कहा कि मादुरो शासन को खत्म करने के लिए किसी भी विदेशी सहायता की जरूरत हो तो उसे लेना चाहिए। उनके इन बयानों को लेकर मचाडो पर “विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ साजिश जैसे आरोप लग चुके हैं।