साउथ की फेमस अभिनेत्री रुक्मिणी वसंत जल्द ही ‘कांतारा चैप्टर 1’ में ऋषभ शेट्टी के साथ स्क्रीन शेयर करती नजर आएंगी। हाल ही में अमर उजाला से बातचीत में अभिनेत्री ने अपनी फिल्मी यात्रा और इस फिल्म के अनुभव साझा किए।
एंटरटेनमेंट न्यूज़: जब यह फिल्म मेरे पास आई, तो मैं बहुत खुश हुई। ऋषभ सर ने पहले मेरी फिल्म ‘सप्त सगरदाचे एलो’ की तारीफ की थी और उनके शब्द मेरे लिए हमेशा खास मायने रखते हैं। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह मुझे इतनी बड़ी फिल्म में काम करने का मौका देगा। जब उन्होंने मुझसे फिल्म में शामिल होने को कहा, तो यह सच में मेरे लिए सपना जैसा लग रहा था।
जैसे-जैसे मैं कहानी और अपने किरदार को समझने लगी, मेरी उत्सुकता और बढ़ गई। थोड़ी घबराहट भी थी, क्योंकि किरदार बड़ा था और कहानी में उसका महत्व काफी था, लेकिन ऋषभ सर का मुझ पर भरोसा देखकर मुझे आत्मविश्वास मिला और मैं पूरी तरह से अपने रोल में डूब गई।
फिल्म का हिस्सा बनने का अनुभव
रुक्मिणी वसंत ने कहा कि जब उन्हें यह फिल्म ऑफर हुई तो उनका खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने बताया, ऋषभ सर पहले मेरी फिल्म ‘सप्त सगरदाचे एलो’ की तारीफ कर चुके थे। उनके शब्द मेरे लिए बहुत मायने रखते थे। लेकिन कभी नहीं सोचा था कि इससे मुझे इतनी बड़ी फिल्म में काम करने का मौका मिलेगा। जब उन्होंने मुझे फिल्म में शामिल होने को कहा, तो यह सच में सपना जैसा लग रहा था।
जैसे-जैसे उन्होंने कहानी और अपने किरदार कनकावती को समझा, उनकी उत्सुकता और बढ़ गई। हालांकि थोड़ी घबराहट भी थी क्योंकि किरदार काफी बड़ा था और कहानी में उसका महत्व अहम था। लेकिन ऋषभ शेट्टी का भरोसा देखकर उन्हें आत्मविश्वास मिला।
किरदार की तैयारी
रुक्मिणी ने बताया कि इस फिल्म में काम करते समय उन्हें पूरी तरह संस्कृति में डूबना जरूरी लगा। कांतारा सिर्फ कहानी नहीं है, यह करावली क्षेत्र की परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई है। मेरे रोल के लिए भूत-प्रेत और दैव पूजा को समझना जरूरी था। लेखकों और ऋषभ सर ने मेरी मदद की, सिर्फ रिवाज समझाने तक नहीं बल्कि ये भी बताया कि ये समाज और लोगों की जिंदगी पर कैसे असर डालते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती शारीरिक कौशल थी, जिसे उन्होंने अपने किरदार को सही ढंग से जीवित दिखाने के लिए सीखना पड़ा।
रुक्मिणी ने साझा किया कि पहला दिन हमेशा उत्सुकता और घबराहट से भरा होता है। नया सेट, नया माहौल—सब कुछ नया। उन्होंने कहा, सेट पर पहुंचने पर टीम पहले से एक महीने से शूट कर रही थी। मुझे उनकी गति में अपना स्थान ढूंढना पड़ा। शुरू में आसान सीन थे, जिनमें ज्यादा डायलॉग नहीं थे। इससे मुझे किरदार की बॉडी लैंग्वेज, नजर और अंदाज पर ध्यान देने का समय मिला। जब डायलॉग वाले सीन आए तो आवाज और छोटे पैमानों पर काम करना शुरू किया।
सह-कलाकारों का सहयोग
रुक्मिणी ने ऋषभ शेट्टी और गुलशन देवैया के साथ काम करने के अनुभव साझा किए। ऋषभ सर शुरू से जुड़े रहे। लेखकों की कार्यशाला में भी उनकी भागीदारी मुझे यह समझने में मदद करती थी कि युवरानी की शारीरिक भाषा कैसी होती है। गुलशन सर के साथ काम करना भी प्रेरणादायक था। मुझे हैरानी हुई कि वह कन्नड़ इतनी खूबसूरती से बोलते हैं और इस डायलेक्ट में सहज हैं।
‘कांतारा चैप्टर 1’ की सफलता के बाद रुक्मिणी ने कहा कि दबाव का अहसास होना स्वाभाविक है। पहला भाग सफल रहा तो दूसरा भाग खुद में बड़ी जिम्मेदारी लेकर आता है। दबाव कभी-कभी हमें रोक देता है, लेकिन जिम्मेदारी हमें प्रेरित करती है। पूरी टीम ने इसे खूबसूरती से संभाला ताकि काम भारी न लगे और हम अपना बेस्ट दे सकें।