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Sawan 2025: पाकिस्तान में भी सावन में गूंजती है 'बम बम भोले' की धुन

Sawan 2025: पाकिस्तान में भी सावन में गूंजती है 'बम बम भोले' की धुन

सावन का महीना शुरू हो चुका है और भारत में शिव भक्ति का रंग हर कोने में नजर आ रहा है। मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और शिव मंत्रों की गूंज वातावरण को पूरी तरह शिवमय बना रही है। लेकिन यह नजारा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान में भी सावन के महीने में शिव मंदिरों में गूंजते हैं 'बम बम भोले' और 'ऊं नम: शिवाय' के स्वर।

सावन में खुलते हैं पाकिस्तान के कुछ खास शिव मंदिर

पाकिस्तान में ऐसे कई शिव मंदिर मौजूद हैं, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें से कुछ मंदिर तो सालभर बंद रहते हैं और केवल महाशिवरात्रि या सावन के पावन अवसर पर ही खोले जाते हैं। इन मंदिरों में शिवभक्तों की मौजूदगी, श्रद्धा और भक्ति देखकर यह साफ समझा जा सकता है कि भक्ति की कोई सीमा नहीं होती।

कटासराज मंदिर में बहती है शिव आंसुओं की कहानी

कटासराज शिव मंदिर, पाकिस्तान के चकवाल ज़िले में स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब देवी सती ने आत्मदाह किया था, तब भगवान शिव के आंसुओं से जो दो बूंद गिरे थे, उनमें से एक कटासराज में गिरा और वहां एक पवित्र सरोवर बना। इसी सरोवर के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष संवाद की कथा भी कही जाती है।

यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सावन के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा और अभिषेक होते हैं, जिसमें स्थानीय हिंदू समुदाय के साथ-साथ भारत से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।

कराची का रत्नेश्वर महादेव मंदिर

कराची, जोकि पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी है, वहां भी एक बेहद प्रसिद्ध शिव मंदिर है – रत्नेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है और यहां भगवान शिव के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।

सावन के महीने में यहां का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। कराची और आसपास के इलाकों से सैकड़ों शिवभक्त रोजाना जल चढ़ाने के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं। यहां सोमवार को विशेष पूजा होती है और मंदिर परिसर घंटों 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंजता रहता है।

सिंध का उमरकोट शिव मंदिर: एक हजार साल पुरानी आस्था

सिंध प्रांत के उमरकोट इलाके में स्थित शिव मंदिर को पाकिस्तान के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में गिना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। यह वही समय था जब भारत में खजुराहो का मंदिर बन रहा था।

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्य भी अत्यधिक है। सावन के मौके पर यहां विशेष आयोजन होते हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं।

मनसहेरा शिव मंदिर: दो हजार साल पुराना शिवलिंग

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चित्ती गट्टी क्षेत्र में स्थित है मनसहेरा शिव मंदिर। यह मंदिर खास इसलिए है क्योंकि यहां स्थित शिवलिंग को लगभग दो हजार साल पुराना बताया जाता है।

यहां रोज पूजा नहीं होती, लेकिन महाशिवरात्रि और सावन में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इन आयोजनों में स्थानीय हिंदू समाज के साथ-साथ पाकिस्तान के अन्य हिस्सों से भी लोग पहुंचते हैं।

सावन में सीमाएं नहीं रुकती शिव भक्ति को

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए सावन का महीना उतना ही खास होता है जितना भारत में। हालात और सीमाओं के बावजूद श्रद्धालु शिव मंदिरों तक पहुंचते हैं और अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।

सियालकोट, कराची, सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा जैसे विभिन्न इलाकों में फैले इन शिव मंदिरों में सावन में एक खास रौनक देखने को मिलती है। हालांकि कई मंदिरों की देखभाल सीमित संसाधनों में होती है, लेकिन फिर भी शिवभक्त पूरे जोश और श्रद्धा से इन मंदिरों में पहुंचते हैं।

मंदिरों में होती है सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और पूजा आयोजन

सावन के पावन अवसर पर पाकिस्तान के शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ-साथ भजन-कीर्तन और धार्मिक नाटक जैसे आयोजन भी होते हैं। कई स्थानों पर मंदिर कमेटियां विशेष भोज और भंडारे का भी आयोजन करती हैं।

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