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SHO को एक घंटे के लिए जेल में रखने का आदेश, पुलिस ने फैसले पर जताई नाराजगी 

SHO को एक घंटे के लिए जेल में रखने का आदेश, पुलिस ने फैसले पर जताई नाराजगी 

हरियाणा के कैथल में कोर्ट ने बार-बार गवाही के लिए गैर-हाज़िर रहने वाले SHO इंस्पेक्टर राजेश कुमार को एक घंटे के लिए सलाखों के पीछे बंद कर दिया। इस कार्रवाई पर पुलिस महकमे में नाराज़गी देखी गई।

कैथल: हरियाणा के कैथल जिले में विशेष अदालत द्वारा एक ऐसा फैसला सुनाया गया जिसने पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। कोर्ट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश मोहित अग्रवाल के आदेश पर इंस्पेक्टर राजेश कुमार को केवल एक घंटे के लिए जेल में रखा। इस दौरान इंस्पेक्टर की सलाखों के पीछे की तस्वीर भी सामने आई, जिसमें वह मायूस और निराश नजर आए। पुलिस महकमा कोर्ट के इस कड़े कदम से नाराज है और इसे अपमानजनक ठहरा रहा है।

क्या है पूरा मामला

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश मोहित अग्रवाल ने इंस्पेक्टर राजेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की क्योंकि वह बार-बार कोर्ट में गवाही देने के लिए पेश नहीं हुए। कोर्ट के आदेशानुसार, 29 अगस्त को गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। इसके बाद जब इंस्पेक्टर कोर्ट में पेश हुए, तो न्यायाधीश ने उन्हें एक घंटे के लिए सलाखों के पीछे रखा।

इंस्पेक्टर राजेश कुमार बड़ाबूढ़ा थाने में एसएचओ के पद पर तैनात हैं। उनके अनुपस्थित रहने की वजह से कई मामले की सुनवाई प्रभावित हुई थी। कोर्ट ने इस कार्रवाई को अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में लिया और इसे सार्वजनिक उदाहरण भी माना।

इंस्पेक्टर को जेल भेजने पर पुलिस की नाराजगी 

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट की नाराजगी समझ में आती है, लेकिन जिस तरह से इंस्पेक्टर को सलाखों के पीछे बैठाया गया, वह कठोर और अपमानजनक था। पुलिस का तर्क है कि यह तरीका किसी भी सम्मानित अधिकारी के लिए अनुचित है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि इंस्पेक्टर राजेश कुमार पेशेवर हैं और उनका अदालत में बार-बार न आना किसी लापरवाही के कारण नहीं, बल्कि कार्यभार और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के कारण हुआ। पुलिस का यह भी कहना है कि अदालत की कार्रवाई ने पूरे विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

कोर्ट का उद्देश्य जिम्मेदारी का अहसास कराना

कोर्ट का कहना है कि गवाही देने के लिए अधिकारी का समय पर उपस्थित होना न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा और मामलों की समय पर सुनवाई के लिए आवश्यक है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ इंस्पेक्टर के लिए एक अनुशासनात्मक उदाहरण है ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी गवाही देने में लापरवाही न करे।

विशेष अदालत ने यह भी साफ किया कि यह सजा केवल एक घंटे की थी और इसका उद्देश्य अपमान करना नहीं बल्कि जिम्मेदारी का अहसास कराना था। कोर्ट के अनुसार, यदि अधिकारी समय पर पेश नहीं होंगे, तो न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होगी, जिससे आम जनता को न्याय मिलने में देरी होगी।

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