बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। नवरात्रि शुरू होने में अभी कुछ दिन बचे हैं, लेकिन उससे पहले ही बिहार की राजनीति में “दुर्योधन” की एंट्री ने सनसनी फैला दी है।
पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान तेज़ हो गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बयान देकर सियासी हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपराध और भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बताया, जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बिहार की राजनीति का दुर्योधन करार दिया।
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू यादव ने मिलकर राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और 15 वर्षों तक बिहार को पिछड़ेपन में धकेला।
चुनावी माहौल में बयानबाज़ी ने पकड़ी गति
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, बिहार में राजनीतिक बयान तेज़ होते जा रहे हैं। नवरात्रि आने में अभी कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन बिहार की राजनीति में दुर्योधन और भीष्म पितामह जैसे प्रतीकों का प्रयोग चर्चा का विषय बन गया है। प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि नीतीश कुमार अपराध और भ्रष्टाचार के प्रतीक भीष्म पितामह हैं तो तेजस्वी यादव दुर्योधन हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दोनों नेताओं ने बिहार में अपराध को सामाजिक स्वीकार्यता दी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा, तेजस्वी यादव और लालू यादव ने राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार को समाज का हिस्सा बनाया। 15 वर्षों तक बिहार रसातल में गिरता रहा। बिहार का हर नागरिक जानता है कि इनसे ज्यादा भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति का कोई नेता नहीं रहा। तेजस्वी यादव का अपराध और भ्रष्टाचार पर बोलना वैसा ही है जैसे शेर लोगों को शाकाहारी बनने की सलाह दे।
लालू–तेजस्वी पर कड़े आरोप
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि लालू यादव के 15 साल के शासनकाल ने बिहार की स्थिति बिगाड़ी। “यह तथ्य पूरे बिहार को मालूम है कि इनके माता-पिता के शासन में राज्य की स्थिति खराब हुई। वहीं तेजस्वी यादव ने तीन साल उपमुख्यमंत्री रहने के बावजूद कोई सुधार नहीं किया, बल्कि हालात और बिगाड़ दिए।हालाँकि, प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में अपराधियों और मंत्रियों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार व्यक्तिगत तौर पर ईमानदार हैं। उन्होंने कहा, सरकार में भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन नीतीश कुमार की व्यक्तिगत ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठता। इसमें किसी को संदेह नहीं करना चाहिए। यह बयान राजनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रशांत किशोर ने विरोध और समर्थन का संतुलित रुख अपनाकर खुद को एक गंभीर और व्यावहारिक नेता के तौर पर प्रस्तुत किया।