वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में ही केंद्र सरकार को डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर हल्की गिरावट का सामना करना पड़ा है। 1 अप्रैल से 10 जुलाई 2025 तक का आंकड़ा देखें तो देश का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1.34 प्रतिशत घटकर करीब 5.63 लाख करोड़ रुपये रहा है। जबकि बीते वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 5.70 लाख करोड़ रुपये के करीब था।
रिफंड बढ़ा तो घटा टैक्स कलेक्शन
सरकार के मुताबिक टैक्स कलेक्शन में इस गिरावट का मुख्य कारण रिफंड में आई जबरदस्त बढ़ोतरी है। इस अवधि में कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 38 प्रतिशत ज्यादा है। यह रिफंड रफ्तार पहले से काफी तेज है, जो दर्शाता है कि सरकार टैक्सपेयर्स को समय पर सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
नेट और ग्रॉस आंकड़ों में फर्क साफ
अगर ग्रॉस कलेक्शन यानी कुल टैक्स संग्रह की बात करें, तो इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस वर्ष 1 अप्रैल से 10 जुलाई तक ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 6.65 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 6.44 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह ग्रॉस कलेक्शन में 3.17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
कंपनी टैक्स में गिरावट, पर्सनल टैक्स स्थिर
नेट कलेक्शन की बात करें तो इसमें कंपनी टैक्स से मिलने वाली राशि 2 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल के 2.07 लाख करोड़ रुपये से 3.67 प्रतिशत कम है। वहीं नॉन-कंपनी टैक्स जैसे व्यक्तिगत, एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) और फर्म से 3.45 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ है, जो पिछले साल के मुकाबले हल्का ही सही, लेकिन लगभग स्थिर रहा।
सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स भी जुटा 17874 करोड़
इस दौरान सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी एसटीटी से 17874 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। सरकार का सालभर में एसटीटी से कुल 78000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। ऐसे में शुरुआती तीन महीनों में यह कलेक्शन उम्मीद के अनुरूप माना जा सकता है।
सरकार को मिला अपने लक्ष्य का 22.34 प्रतिशत हिस्सा
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने कुल 25.20 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन लक्ष्य रखा है। अभी तक यानी 10 जुलाई तक सरकार इस लक्ष्य का 22.34 प्रतिशत हिस्सा जुटा चुकी है। टैक्स रिफंड के कारण नेट कलेक्शन की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर हुई है, लेकिन ग्रॉस कलेक्शन में सुधार बना हुआ है।
कंपनी और नॉन-कंपनी टैक्स की तुलना में अंतर
अगर ग्रॉस कलेक्शन की बात करें तो कंपनी टैक्स इस बार 2.90 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि 9.42 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं नॉन-कंपनी टैक्स ग्रॉस आंकड़ों में 3.57 लाख करोड़ रुपये रहा है, जिसमें 1.28 प्रतिशत की हल्की गिरावट देखने को मिली है। इससे यह साफ है कि कंपनियों का प्रदर्शन टैक्स के रूप में बेहतर रहा है।
करदाताओं की संख्या में विस्तार की संभावना
सरकारी सूत्रों का मानना है कि आने वाले महीनों में आयकरदाताओं की संख्या में इजाफा हो सकता है, जिससे आगे चलकर टैक्स कलेक्शन में सुधार की उम्मीद की जा रही है। इस वर्ष का लक्ष्य पिछली बार की तुलना में 12.7 प्रतिशत ज्यादा रखा गया है, जिसके लिए सालभर में तेज टैक्स कलेक्शन की जरूरत होगी।