एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करता है, तो चालू वित्त वर्ष में देश का खर्च 9 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। इससे तेल कीमतों पर भी असर पड़ेगा।
Russia Oil Import: भारत पिछले कुछ वर्षों में रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदकर ऊर्जा सुरक्षा मजबूत कर रहा है। लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय दबाव, विशेषकर अमेरिका के, कारण भारत रूस से तेल आयात बंद कर देता है तो इसके आर्थिक असर गहरे हो सकते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ऐसा होने पर चालू वित्त वर्ष में भारत को 9 अरब डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है।
अगर रूसी तेल बंद हुआ तो कितना बढ़ेगा खर्च
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत वित्त वर्ष 2026 की शेष अवधि में रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है, तो उसका फ्यूल बिल 9 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। अगले वित्त वर्ष यानी 2027 में यह बढ़ोतरी और बढ़कर 11.7 अरब डॉलर तक जा सकती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि भारत को फिर महंगे दामों पर दूसरे देशों से तेल खरीदना पड़ेगा।
ग्लोबल क्रूड मार्केट में रूस की भूमिका
दुनियाभर में कच्चे तेल की कुल सप्लाई में रूस का योगदान करीब 10 प्रतिशत है। अगर दुनिया भर के देश रूस से तेल खरीदना बंद कर दें और कोई अन्य देश उत्पादन नहीं बढ़ाए तो तेल की कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे भारत जैसे आयात-निर्भर देशों पर काफी दबाव बढ़ेगा।
भारत-रूस तेल व्यापार का विस्तार
2022 में जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तब पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसी समय भारत ने रूस से सस्ते दरों पर कच्चा तेल खरीदना शुरू किया। उस समय रूस ने भारत को 60 डॉलर प्रति बैरल की दर पर तेल बेचा। इससे भारत को लाभ हुआ और तेल का आयात बिल कम हुआ। नतीजतन, वित्त वर्ष 2020 में जहां भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी सिर्फ 1.7 प्रतिशत थी, वहीं वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई।
रूस बना भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने रूस से 88 मिलियन मीट्रिक टन कच्चा तेल आयात किया। यह भारत के कुल 245 मिलियन मीट्रिक टन तेल आयात का बड़ा हिस्सा था। इससे स्पष्ट है कि रूस अब भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
पहले कौन था सबसे बड़ा तेल सप्लायर
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर इराक था। उसके बाद सऊदी अरब और फिर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) आते थे। भारत इन देशों से सालाना अनुबंधों के जरिए तेल खरीदता रहा है, जिनमें हर महीने अतिरिक्त आपूर्ति का विकल्प भी शामिल होता है।
तेल सप्लाई के लिए भारत के पास हैं कई विकल्प
रूस पर प्रतिबंधों के चलते भारत ने अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और अजरबैजान जैसे देशों की ओर रुख किया है। इसके अलावा भारत ने अब लगभग 40 देशों से तेल आयात करना शुरू कर दिया है। इसमें गुयाना, ब्राजील और कनाडा जैसे नए देश भी शामिल हैं। इसका मकसद ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और आपूर्ति के जोखिम को कम करना है।