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Haryana रोडवेज कर्मचारी भूख हड़ताल पर, क्या हैं उनकी प्रमुख मांगें? पढ़ें पूरी खबर

Haryana रोडवेज कर्मचारी भूख हड़ताल पर, क्या हैं उनकी प्रमुख मांगें? पढ़ें पूरी खबर
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

हरियाणा रोडवेज कर्मचारी 21-22 अप्रैल को भूख हड़ताल करेंगे। यूनियन का कहना है कि सरकारी बसों की कमी और निजीकरण के प्रयासों के विरोध में यह कदम उठाया गया है।

Haryana News: हरियाणा रोडवेज के कर्मचारी 21 और 22 अप्रैल को hunger strike पर बैठेंगे। रोडवेज यूनियन का कहना है कि सरकारी बसों की संख्या में भारी कमी और privatization के प्रयासों के कारण यह कदम उठाया गया है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में बसों की संख्या बढ़ाने, भर्ती प्रक्रिया में सुधार, लंबित night stay का भुगतान और temporary employees को regularize करना शामिल है।

हरियाणा रोडवेज में बसों की कमी 

हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन (सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा) की कैथल डिपो कार्यकारिणी ने बैठक आयोजित की। मीटिंग की अध्यक्षता डिपो प्रधान अमित ने की और संचालन डिपो सचिव कृष्ण गुलियाना ने किया। इस बैठक में 21-22 अप्रैल को होने वाली hunger strike की रणनीति पर चर्चा की गई।

कर्मचारियों का कहना है कि 1993 में राज्य की जनसंख्या एक करोड़ के आसपास थी, उस समय हरियाणा रोडवेज में करीब 3884 सरकारी बसें और 23600 कर्मचारी थे। आज, जब राज्य की जनसंख्या तीन करोड़ के करीब पहुंच चुकी है, तो केवल 2400 सरकारी बसें ही बची हैं, और कर्मचारियों की संख्या भी घटकर लगभग 14000 रह गई है।

कर्मचारियों की स्थिति गंभीर

सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान शिवचरण और अन्य नेताओं ने चिंता व्यक्त की है कि विभाग में बसों की कमी के चलते सरकार अब private buses को बढ़ावा दे रही है। विभाग ने 362 रूटों पर 3658 private permits जारी किए हैं और electric private buses को लाकर रोडवेज के privatization की योजना बना रही है।

इससे कर्मचारियों का काम प्रभावित हो सकता है और सार्वजनिक परिवहन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, डीजल सप्लाई के लिए भी रोडवेज के पास खुद के tankers नहीं हैं, जिससे विभाग की स्थिति और खराब हो गई है।

कर्मचारियों की लंबित मांगें

एक और बड़ी समस्या यह है कि रोडवेज के चालक परिचालकों को पिछले 16 महीनों से night stay payment नहीं किया जा रहा। साथ ही, ओवरटाइम और छुट्टियों में कटौती ने कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित किया है। Temporary employees को regularize करने की भी मांग उठाई जा रही है, क्योंकि कई कर्मचारी 2016 से temporary हैं, जबकि सरकार उन्हें regular करने के बजाय HRKN से नई भर्ती कर रही है।

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