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Maharashtra News: राज ठाकरे ने हिंदी पर मचाया बवाल, सरकार को दी कड़ी चेतावनी

Maharashtra News: राज ठाकरे ने हिंदी पर मचाया बवाल, सरकार को दी कड़ी चेतावनी
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य करने की सरकार की कोशिशों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, कहा- "हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं हैं, संघर्ष होगा अगर यह जारी रहा।"

Maharashtra News: महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ठाकरे ने सरकार की इस कोशिश को महाराष्ट्र में सफल नहीं होने देने का संकल्प लिया है।

'हिंदी थोपने की जबरदस्ती हम बर्दाश्त नहीं करेंगे'

राज ठाकरे ने कहा, "हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, यह सिर्फ एक राज्यभाषा है। इसलिए इसे महाराष्ट्र में क्यों अनिवार्य किया जा रहा है?" ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सरकार इस 'हिंदीकरण' की कोशिशों को जारी रखती है, तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंदी को स्कूलों में जबरदस्ती पढ़ाना राज्य की भाषाई परंपरा के खिलाफ है, और MNS इसे हरगिज सहन नहीं करेगी।

'भाषाई आधार पर राज्यों का गठन हुआ था'

राज ठाकरे ने भारतीय संविधान की भाषाई परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि देश में भाषाई आधार पर राज्यों का गठन हुआ था, और प्रत्येक राज्य को अपनी भाषा का सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में मराठी का सम्मान होना चाहिए, और दूसरे राज्यों में भी वहां की स्थानीय भाषाओं का आदर किया जाना चाहिए।"

'हिंदू हैं लेकिन हिंदी नहीं' – राज ठाकरे का बड़ा बयान

अपने बयान में ठाकरे ने कहा, "हम हिंदू हैं, लेकिन हम हिंदी नहीं हैं। अगर आप महाराष्ट्र पर हिंदी थोपने की कोशिश करेंगे, तो संघर्ष अनिवार्य है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार यह प्रयास जानबूझकर राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है और मराठी बनाम गैर-मराठी संघर्ष उत्पन्न करना चाहती है।

राज ठाकरे ने उठाया सवाल - 'हिंदी की अनिवार्यता सिर्फ महाराष्ट्र में क्यों?'

राज ठाकरे ने सवाल उठाया कि क्या हिंदी को अनिवार्य बनाने की यह कोशिश सिर्फ महाराष्ट्र में ही हो रही है, या इसे अन्य राज्यों में भी लागू करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर दक्षिणी राज्यों में हिंदी को अनिवार्य करने की कोशिश की जाए, तो वहां की सरकारें इसका विरोध करेंगी, लेकिन महाराष्ट्र में यह चुपचाप हो रहा है।

महाराष्ट्र के अन्य दलों से भी समर्थन की अपील

राज ठाकरे ने अन्य राजनीतिक दलों से भी अपील की कि अगर उन्हें मराठी भाषा से निष्ठा है, तो उन्हें इस फैसले का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आज एक भाषा को जबरदस्ती लागू किया जा सकता है, तो कल कोई और निर्णय भी लागू किया जा सकता है।

अंत में, ठाकरे ने साफ तौर पर कहा, "हम हिंदी को महाराष्ट्र में थोपने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने देंगे। यह राज्य की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान है, जिसे हम बचाए रखेंगे।"

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