तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली इलाके में अचानक की गई पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि चाहे जमीन निजी हो या सरकारी, पेड़ काटने से पहले अदालत की अनुमति लेना ज़रूरी होता है। कोर्ट ने इस जल्दबाज़ी पर नाराज़गी जताई और राज्य सरकार से पूछा कि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए आखिर क्या योजना बनाई गई थी?
अदालत ने जताई सख्त नाराज़गी
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवी भट की पीठ ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। जस्टिस गवई ने तल्ख अंदाज़ में कहा, इतनी क्या जल्दी थी कि तीन दिन की छुट्टियों में ही बुलडोजर लगा दिए गए? इतने बड़े इलाके के पेड़ एक ही झटके में काट दिए गए, आखिर क्यों? उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट के सामने पेश वीडियो में देखा गया है कि जानवर इधर-उधर भाग रहे हैं, शेल्टर की तलाश कर रहे हैं और आवारा कुत्ते उन्हें काट रहे हैं। इससे साफ है कि जंगल की कटाई से वन्य जीवों को भारी नुकसान पहुंचा है।
विकास कार्यों पर रोक
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को गाचीबोवली इलाके में सभी विकास कार्यों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक वहां कोई नई गतिविधि नहीं होगी। केवल पहले से मौजूद पेड़ों की देखभाल की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को चेतावनी दी थी कि अगर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हुई तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। साथ ही, सरकार से पूरे मामले पर एक विस्तृत हलफनामा भी मांगा गया है।
हमें बहाने नहीं, समाधान चाहिए
जस्टिस गवई ने राज्य सरकार से दो टूक कहा, अगर आप अपने अधिकारियों को बचाना चाहते हैं, तो हमें यह बताइए कि जंगल को दोबारा कैसे बहाल किया जाएगा। हमें स्पष्टीकरण नहीं, समाधान चाहिए। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर सरकार संतोषजनक जवाब नहीं देती है, तो अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है, जिसमें उन्हें अस्थायी रूप से जेल भी भेजा जा सकता है।
कानून के ऊपर कोई नहीं
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि कोई भी कानून अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है, तो वह मान्य नहीं होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि इससे पहले कोर्ट ने सुकमा झील के पास एक बड़ा आवासीय प्रोजेक्ट इसी वजह से रुकवाया था, क्योंकि वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा था।
कोर्ट ने सरकार से यह भी सवाल पूछा कि जंगल के खत्म होने के बाद जानवरों की सुरक्षा के लिए क्या किया गया? उन्होंने कहा कि सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह जंगल खत्म होने के बाद जानवरों को सुरक्षित जगह दे और शहर में हरियाली बनाए रखे।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बहुत ही सख्त रुख अपनाते हुए कहा, हम मंत्रियों या अधिकारियों की बातों पर नहीं, सिर्फ पर्यावरण की रक्षा पर ध्यान दे रहे हैं। जो नुकसान हुआ है, उसे कैसे सुधारा जाएगा, बस यह बताइए। अब इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह बताना होगा कि जंगल की कटाई से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे की जाएगी। साथ ही यह भी देखना होगा कि पेड़ दोबारा कैसे लगाए जाएंगे और अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।