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सुप्रीम कोर्ट की ED को फटकार, कहा- 'आपके पास अधिकार हैं, लेकिन दूसरों की आज़ादी का भी सम्मान करें'

सुप्रीम कोर्ट की ED को फटकार, कहा- 'आपके पास अधिकार हैं, लेकिन दूसरों की आज़ादी का भी सम्मान करें'
अंतिम अपडेट: 11-04-2025

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भूमिका पर प्रश्न उठाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि एजेंसियों को अपनी कार्रवाई करते समय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। 

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को एक सुनवाई के दौरान कठोर फटकार लगाते हुए संवैधानिक मूल्यों की याद दिलाई है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने एनएएन (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले के मामले में ईडी द्वारा दायर याचिका पर तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि यदि ईडी खुद को मौलिक अधिकारों का संरक्षक मानती है, तो उसे आम नागरिकों के अधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए।

दिल्ली ट्रांसफर की याचिका पर उठे सवाल

ईडी ने एनएएन घोटाला मामले को छत्तीसगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। इसके साथ ही, एजेंसी ने कुछ आरोपियों की अग्रिम जमानत को भी रद्द करने की अपील की थी। सुनवाई के दौरान जब ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दलील दी कि ईडी को भी मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, तो न्यायालय ने चुटकी लेते हुए कहा, अगर एजेंसी के पास अधिकार हैं, तो उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि वही अधिकार आम नागरिकों के पास भी हैं।

याचिका वापस लेने की नौबत आई

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद ईडी को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगनी पड़ी, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि जब रिट याचिकाएं आमतौर पर व्यक्तियों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की जाती हैं, तो एक जांच एजेंसी किस आधार पर इस अनुच्छेद का सहारा ले सकती है?

क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?

यह प्रकरण केवल एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों और जांच एजेंसियों की संवैधानिक सीमाओं के बीच संतुलन का भी मामला बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख स्पष्ट करता है कि जांच एजेंसियों को अपनी शक्तियों का प्रयोग करते समय नागरिक अधिकारों का सम्मान करना अनिवार्य है। एनएएन (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले की जड़ें 2015 में तब सामने आईं, जब छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से जुड़े कार्यालयों पर छापे मारकर 3.64 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी बरामद की। 

जांच में यह भी सामने आया कि वितरण के लिए रखे गए चावल और नमक की गुणवत्ता मानव उपभोग के योग्य नहीं थी। उस वक्त एनएएन के अध्यक्ष अनिल टुटेजा और प्रबंध निदेशक आलोक शुक्ला थे।

ईडी की दलीलें और विवाद

ईडी ने आरोप लगाया था कि टुटेजा और अन्य आरोपियों ने अग्रिम जमानत का दुरुपयोग किया है। एजेंसी ने दावा किया कि कुछ संवैधानिक पदाधिकारियों ने न्यायिक राहत दिलाने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से संपर्क भी साधा। इन्हीं परिस्थितियों के चलते एजेंसी ने मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी।

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