देश के इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (ITI) अब जल्द ही एक नए रूप में दिखेंगे। केंद्र सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ी योजना की शुरुआत की है, जिसमें पूरे देश के एक हजार से ज्यादा ITI संस्थानों को अपग्रेड किया जाएगा। इस अपग्रेडेशन की खास बात यह है कि इसमें देश की बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हो रही हैं।
रिलायंस से लेकर अदाणी तक दिखा रुझान
सरकार की इस योजना में अब तक 12 से ज्यादा कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इनमें 8 बड़ी कंपनियों ने अपने प्लान भी सरकार को सौंप दिए हैं। ये कंपनियां हैं – रिलायंस ग्रुप, अदाणी ग्रुप, महिंद्रा ग्रुप, जेके सीमेंट, जिंदल ग्रुप, टोयोटा इंडिया, श्नाइडर इलेक्ट्रिक और आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील। ये कंपनियां उन राज्यों और सेक्टर्स की जानकारी दे चुकी हैं, जहां वे ITI को हब एंड स्पोक मॉडल पर विकसित करना चाहती हैं।
L&T, बजाज और सरकारी कंपनियां भी हो सकती हैं शामिल
सरकार की इन बड़े नामों से बातचीत के अलावा कुछ अन्य प्रमुख कंपनियां भी इस योजना में शामिल हो सकती हैं। लार्सन एंड टूब्रो (L&T), बजाज ऑटो, आदित्य बिड़ला ग्रुप के अलावा सरकारी कंपनियों जैसे बीएचईएल, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से भी बातचीत जारी है।
हब एंड स्पोक मॉडल क्या है और कैसे करेगा काम
इस योजना का मूल आधार ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल है। इसके तहत कुछ बड़े और सुविधाजनक ITI संस्थानों को ‘हब’ बनाया जाएगा। यहां अत्याधुनिक मशीनें, ट्रेनिंग लैब्स और विशेषज्ञ ट्रेनर होंगे। इसके साथ जुड़े छोटे-छोटे ITI संस्थानों को ‘स्पोक’ कहा जाएगा, जो हब से टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग मॉडल हासिल करेंगे। इससे पूरे नेटवर्क में एक जैसी और उच्च गुणवत्ता की ट्रेनिंग सुनिश्चित की जाएगी।
युवाओं को उद्योगों के अनुसार मिलेगी ट्रेनिंग
इस योजना का उद्देश्य युवाओं को उन स्किल्स से लैस करना है, जिनकी जरूरत आज के और आने वाले कल के उद्योगों को होगी। सरकार और कंपनियों की साझेदारी से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय स्तर पर युवाओं को ट्रेनिंग दी जाए जो सीधे तौर पर उन्हें रोजगार के अवसरों से जोड़े।
कंपनियों की योजनाएं: किस राज्य में किस सेक्टर पर फोकस
रिलायंस ग्रुप महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में काम करेगा। उनका फोकस रिन्यूएबल एनर्जी, रिटेल, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग और पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में होगा।
अदाणी ग्रुप भी गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ट्रेंड वर्कफोर्स तैयार करने की योजना पर काम कर रहा है।
जेके सीमेंट राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कंस्ट्रक्शन, रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में ट्रेनिंग देगा।
टोयोटा इंडिया ऑटोमोबाइल सेक्टर पर फोकस करेगी जबकि श्नाइडर इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिकल और ऑटोमेशन सेक्टर में युवाओं को प्रशिक्षित करेगी।
आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील स्टील मैन्युफैक्चरिंग और मेटल वर्किंग के क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देगी।
कई राज्यों में शुरू हो चुकी है तैयारी
कुछ राज्यों ने पहले ही अपने यहां के चुनिंदा ITI को हब में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख हैं। यहां कंपनियां स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जमीन, संसाधन और ट्रेनिंग मॉडल पर काम कर रही हैं।
इंडस्ट्री-अकादमिक सहयोग से बनेगा मजबूत इकोसिस्टम
सरकार का मानना है कि यदि कंपनियां अपने-अपने सेक्टर के अनुरूप ट्रेनिंग देंगी, तो युवाओं के लिए सीधे रोजगार के अवसर खुलेंगे। इससे इंडस्ट्री और शिक्षा संस्थानों के बीच की खाई भी कम होगी और एक मजबूत स्किल इकोसिस्टम तैयार होगा।
भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार होगा वर्कफोर्स
आज के दौर में केवल थ्योरी से काम नहीं चलता। नए जमाने के उद्योगों को उस वर्कफोर्स की जरूरत है जो टेक्नोलॉजी से न केवल परिचित हो बल्कि उसे इस्तेमाल करने में दक्ष भी हो। इसीलिए इस योजना में ऑटोमेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स, एआई, सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों को विशेष रूप से शामिल किया गया है।
ITI की छवि में होगा बड़ा बदलाव
इस योजना से ITI की पारंपरिक छवि बदलने की उम्मीद है। अब इन्हें केवल फिटर, वेल्डर या इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग देने वाले संस्थानों की जगह एक अत्याधुनिक और तकनीकी रूप से सशक्त ट्रेनिंग हब के रूप में देखा जाएगा।