अजा एकादशी 2025 भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी 19 अगस्त को होगी और पारण 20 अगस्त को। इस दिन व्रत करने वाले को चावल, तामसिक भोजन, बुराई करना, बाल या नाखून काटना और तुलसी को छूने से बचना चाहिए। दिन में सोना भी वर्जित है, ताकि व्रत का पूरा फल और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो।
अजा एकादशी 2025: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 19 अगस्त को मनाई जाएगी और पारण 20 अगस्त को किया जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और सभी पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि का मार्ग देता है। इस दिन व्रतियों को चावल, तामसिक भोजन, बुराई करना, बाल या नाखून काटना और तुलसी को छूने से बचना चाहिए। दिन में सोने के बजाय भजन और भगवान का ध्यान करना चाहिए, ताकि व्रत पूर्ण फलदायी हो।
व्रत का महत्व
अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन का व्रत न केवल शरीर के लिए बल्कि मन के शुद्धिकरण के लिए भी आवश्यक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी के दिन किया गया व्रत जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है।
अजा एकादशी के दिन कौन-सी गलतियां न करें
अजा एकादशी का व्रत करते समय कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यदि इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
चावल का सेवन न करें
अजा एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है। इस दिन चावल खाने से व्रत का फल टूट सकता है और व्रत अधूरा रह सकता है। इसलिए इस दिन चावल या चावल से बने किसी भी व्यंजन से दूर रहें।
तामसिक भोजन से बचें
व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और अन्य तामसिक चीजें खाने से व्रत का लाभ नहीं मिलता। केवल सात्विक भोजन करने से मन और शरीर दोनों शुद्ध रहते हैं।
दूसरों की बुराई न करें
एकादशी का व्रत केवल खाने-पीने का त्याग नहीं है, बल्कि यह मानसिक शुद्धता का भी प्रतीक है। इस दिन किसी की निंदा, बुराई या झूठ बोलना वर्जित है। क्रोध, द्वेष और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहकर भगवान का ध्यान करना चाहिए।
बाल और नाखून न काटें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन बाल कटवाना, नाखून काटना या शेविंग करना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो सकता है।
तुलसी का पौधा न छुएं
तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अति प्रिय है। लेकिन अजा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को छूना या उसकी पत्तियां तोड़ना वर्जित है। पूजा के लिए तुलसी की पत्तियां एक दिन पहले ही तोड़ी जा सकती हैं।
दिन में न सोएं
व्रत के दिन दिन में सोना अशुभ माना जाता है। इस दिन जितना हो सके भजन, ध्यान और पूजा करना चाहिए। यदि संभव हो तो पूरी रात जागकर भगवान विष्णु का जागरण करना श्रेष्ठ माना जाता है।
व्रत की तैयारी
अजा एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को पहले से तैयारी करनी चाहिए। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, तुलसी की पत्तियां और सात्विक भोजन का प्रबंध पहले ही कर लेना चाहिए। यह व्रत मानसिक और शारीरिक दोनों दृष्टियों से तैयार होकर किया जाए तो अधिक फलदायी होता है।
अजा एकादशी का पारण
व्रत का पारण अगले दिन यानी 20 अगस्त 2025 को किया जाएगा। इस दिन उपवासियों को सावधानीपूर्वक नियमों का पालन करते हुए फलाहार या हल्का भोजन करना चाहिए। पारण का सही समय और विधि पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती है।
धार्मिक मान्यताएं
अजा एकादशी का व्रत करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और व्रतधारी के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और शुद्ध मन से इस व्रत को करता है उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।