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AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को मिला यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस, जानिए क्यों खास है यह लाइसेंस

AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को मिला यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस, जानिए क्यों खास है यह लाइसेंस

भारतीय रिजर्व बैंक ने AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। इस मंजूरी के साथ बैंक अब पूर्ण-सेवा बैंक के रूप में काम कर सकेगा और बड़े बैंकों की तरह सभी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करा पाएगा। करीब एक दशक बाद किसी स्मॉल फाइनेंस बैंक को यह अनुमति मिली है, जिससे AU बैंक के विस्तार और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को नया आयाम मिलेगा।

नई दिल्ली: 8 अगस्त 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने जयपुर के AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को यूनिवर्सल बैंक बनने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद अब बैंक को भी बड़े-बड़े वाणिज्यिक बैंकों की तरह सभी तरह की बैंकिंग सेवाएं देने का अधिकार मिल जाएगा। मतलब अब यह बैंक बड़ी कंपनियों को भी लोन दे सकेगा, नई कंपनियां शुरू कर सकेगा और देशभर में अपना काम और दायरा बढ़ा सकेगा। AU बैंक ने यह अर्जी सितंबर 2024 में लगाई थी और जून 2025 तक इसके ग्राहकों की संख्या 1.15 करोड़ से ज़्यादा हो चुकी थी।

AU स्मॉल फाइनेंस बैंक की अब तक की यात्रा

AU स्मॉल फाइनेंस बैंक की शुरुआत 1996 में एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के रूप में हुई थी। 2015 में इसे स्मॉल फाइनेंस बैंक का लाइसेंस मिला और 2017 में इसने बैंकिंग संचालन शुरू किया। जून 2025 तक बैंक का नेटवर्क 21 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला हुआ था, जिसमें 2500 से अधिक बैंकिंग केंद्र हैं। इसकी वर्कफोर्स 53,000 से ज्यादा है और ग्राहकों की संख्या 1.15 करोड़ से अधिक हो चुकी है।

बैंक ने 2024 के सितंबर में यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जिससे यह स्पष्ट था कि वह अब देश के प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों की कतार में खड़ा होना चाहता है।

यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस क्या है

यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस वह मंजूरी है, जो किसी बैंक को देशभर में पूर्ण वाणिज्यिक बैंकिंग संचालन की अनुमति देती है। इसका मतलब है कि बैंक अब सिर्फ सीमित दायरे में छोटे ऋण देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह बड़े ऋण, अंतरराष्ट्रीय लेनदेन, निवेश सेवाएं, इंश्योरेंस, और अन्य वित्तीय सेवाएं भी प्रदान कर सकेगा।

AU स्मॉल फाइनेंस बैंक अब ग्राहकों को सेवाओं की पूरी रेंज प्रदान कर सकेगा, जिसमें चालू खाता, बचत खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट, कॉर्पोरेट लोन, विदेशी मुद्रा कारोबार और अन्य विविध बैंकिंग उत्पाद शामिल होंगे।

आरबीआई की शर्तें

भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2024 में स्मॉल फाइनेंस बैंकों को यूनिवर्सल बैंक में बदलने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके अनुसार, किसी बैंक को यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए कम से कम 5 साल का संतोषजनक प्रदर्शन, 10,000 करोड़ रुपये की नेटवर्थ, हालिया मुनाफा, सीमित NPA और मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नेंस दिखानी होती है।

AU बैंक ने इन सभी मानकों को पूरा करते हुए यह मंजूरी हासिल की है। इसका यह भी मतलब है कि बैंक की वित्तीय स्थिति, ग्राहक सेवा और जोखिम प्रबंधन मानकों को आरबीआई ने संतोषजनक पाया।

बैंकिंग क्षेत्र में नई शुरुआत

AU बैंक को यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस मिलने से बैंकिंग सेक्टर में एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो सकती है। यह बैंक अब HDFC, ICICI, SBI जैसे बैंकों की तरह पूरे देश में विस्तार कर सकेगा और कॉर्पोरेट ग्राहकों को भी सेवा दे सकेगा।

बैंक की पकड़ पहले से ही ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में काफी मजबूत है, जिससे वह अपने मौजूदा नेटवर्क के जरिये बड़े पैमाने पर सेवाएं देने में सक्षम है। इसके साथ ही डिजिटल बैंकिंग और तकनीक पर बैंक का खास जोर उसकी सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।

पिछला उदाहरण: बंधन बैंक

AU से पहले ऐसा लाइसेंस साल 2015 में कोलकाता के बंधन बैंक को मिला था। बंधन पहले एक माइक्रोफाइनेंस संस्था थी और फिर यूनिवर्सल बैंक बना। वह भारत का पहला स्मॉल फाइनेंस बैंक था, जिसे यह दर्जा प्राप्त हुआ था।

AU का यह प्रमोशन लगभग एक दशक बाद किसी बैंक को मिला है, जो यह दर्शाता है कि यह कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है। यह बैंक की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता और दीर्घकालिक रणनीति की सफलता को दर्शाता है।

 

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