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भीलवाड़ा के दो युवाओं की साइकिल से भारत यात्रा, गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दिलाने का संकल्प

भीलवाड़ा के दो युवाओं की साइकिल से भारत यात्रा, गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दिलाने का संकल्प

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के दो युवाओं ने गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के संकल्प के साथ साइकिल से देशभर की यात्रा शुरू की है। यह यात्रा 12 ज्योतिर्लिंगों, चारधाम और नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर तक जाएगी।

भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा क्षेत्र के खामोर गांव के दो युवा — किशन गुर्जर और राहुल प्रजापत — ने गौमाता को ‘राष्ट्र माता’ का दर्जा दिलाने के संकल्प के साथ भारतभर की साइकिल यात्रा शुरू की है। इन युवाओं की यह यात्रा आस्था, साहस और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन गई है। वे देश के 12 ज्योतिर्लिंगों और चारधामों के दर्शन करते हुए गौ-संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचाएंगे।

गौसेवा में युवाओं ने दिखाई अद्भुत आस्था

सोमवार को शाहपुरा में यात्रा की शुरुआत त्रिमूर्ति स्मारक परिसर से हुई, जहां सैकड़ों गौ-सेवकों और स्थानीय नागरिकों ने दोनों युवाओं का जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर लोगों ने उनके हौसले और समर्पण को भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण बताया। किशन और राहुल का यह सफर सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक मिशन है — गौमाता को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने का संकल्प।

दोनों युवाओं का कहना है कि गौमाता भारतीय जीवन दर्शन का आधार हैं और उनका संरक्षण हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। इस यात्रा के जरिए वे यह संदेश देना चाहते हैं कि गाय केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि कृषि, पर्यावरण और मानवता के अस्तित्व से जुड़ी हुई है।

18 माह तक साइकिल से करेंगे तीर्थ दर्शन

किशन और राहुल ने यह निर्णय लिया है कि वे यात्रा के लिए किसी वाहन का उपयोग नहीं करेंगे, बल्कि पूरी यात्रा साइकिल से ही पूरी करेंगे। लगभग 18 महीनों तक चलने वाली इस यात्रा में वे 12 ज्योतिर्लिंगों, चारधामों और नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर सहित प्रमुख तीर्थस्थलों के दर्शन करेंगे। यात्रा का आरंभ मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर से होगा, इसके बाद उज्जैन, सोमनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, काशी विश्वनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों की ओर बढ़ेंगे।

दोनों युवाओं ने बताया कि रास्ते में वे मंदिरों, गौशालाओं और धर्मशालाओं में ठहरेंगे। हर पड़ाव पर वे स्थानीय लोगों से संवाद कर गौ-संरक्षण का संदेश देंगे। उनका मानना है कि यह यात्रा सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का माध्यम भी बनेगी।

गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाना लक्ष्य

किशन और राहुल का मुख्य उद्देश्य है कि भारत सरकार गौमाता को ‘राष्ट्र माता’ का दर्जा प्रदान करे। इसके लिए वे गांव-गांव जाकर जन-जागरूकता अभियान चलाएंगे। वे लोगों को बताएंगे कि गाय भारतीय अर्थव्यवस्था, कृषि और संस्कृति की रीढ़ है। दोनों युवाओं ने यह भी बताया कि यात्रा के दौरान वे गौशालाओं में सेवा कार्य करेंगे और गौमाता की उपयोगिता पर व्याख्यान देंगे।

उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना चाहते हैं। इसलिए वे इस यात्रा को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की योजना भी बना रहे हैं।

गौसेवक युवाओं की मुहिम से बढ़ा उत्साह

शाहपुरा और आसपास के क्षेत्रों में इन युवाओं की चर्चा जोरों पर है। लोग उन्हें “गौ-सेवा के पथिक” कहकर सम्मानित कर रहे हैं। सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने उनकी इस यात्रा को सराहनीय बताया और सहयोग देने का आश्वासन दिया है।

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि किशन और राहुल की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। यह केवल दो युवाओं की यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और राष्ट्रीय एकता का सशक्त संदेश है। दोनों युवाओं ने कहा — “हमारा उद्देश्य सरल है, जहां गौमाता का सम्मान होगा, वहीं भारत की आत्मा सशक्त होगी।”

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