Columbus

बिहार चुनाव: चिराग पासवान की बयानबाज़ी से असहज NDA, बीजेपी देगी एकजुटता का संदेश

बिहार चुनाव: चिराग पासवान की बयानबाज़ी से असहज NDA, बीजेपी देगी एकजुटता का संदेश

बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान के तीखे बयानों से एनडीए असहज है। बीजेपी नेतृत्व जल्द ही चिराग को समझाने की योजना बना रहा है कि वे गठबंधन में एकजुटता दिखाएं और विवादित टिप्पणियों से बचें। 

पटना: बिहार में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है और इसी के साथ एनडीए में अंदरूनी खींचतान भी सतह पर दिखने लगी है। गठबंधन में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के तीखे बयानों ने बीजेपी नेतृत्व को असहज कर दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी जल्द ही चिराग पासवान के साथ एक विशेष बैठक करने वाली है, जिसमें उन्हें बयानबाज़ी पर संयम बरतने और गठबंधन के हित में एकजुटता दिखाने की सख्त सलाह दी जाएगी।

बयानबाज़ी से बिगड़ रहा संतुलन

चिराग पासवान पिछले कुछ महीनों से बिहार की नीतीश कुमार सरकार की आलोचना करते रहे हैं। वे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर खुले मंचों पर सवाल उठाते हैं और इसे विफल बताते हैं। हाल ही में हुई गोलीबारी, हत्या और अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर उन्होंने नीतीश सरकार पर तीखे हमले किए हैं।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा है और बीजेपी की सहयोगी है। ऐसे में चिराग का रवैया न केवल अंदरूनी मतभेद को उजागर करता है, बल्कि विपक्ष को भी एनडीए पर हमला करने का अवसर देता है।

बीजेपी की रणनीति: नुकसान से पहले नियंत्रण

बीजेपी नेतृत्व को यह आशंका है कि अगर चिराग पासवान की बयानबाज़ी पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, तो यह आगामी चुनावों में एनडीए की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। यही वजह है कि पिछले हफ्ते पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने चिराग से मुलाकात कर उन्हें सावधान किया।

सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एक और बैठक होगी जिसमें बीजेपी स्पष्ट रूप से चिराग को यह संदेश देगी कि उन्हें अपने तेवर नरम करने होंगे और सार्वजनिक मंचों पर एनडीए के प्रति एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा।

केंद्र में मंत्री, राज्य में विरोध?

चिराग पासवान वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर यह भी कहा है कि वे बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं। इससे एनडीए के भीतर भ्रम की स्थिति बन गई है। कई नेता यह नहीं समझ पा रहे कि वे गठबंधन का हिस्सा हैं या अपनी अलग राजनीतिक लाइन ले रहे हैं। बीजेपी का मानना है कि इस तरह के बयानों से जनता और कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा होता है और इससे गठबंधन की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।

एकजुटता ज़रूरी, व्यक्तिगत राजनीति नहीं

बीजेपी का आकलन है कि बिहार में इस बार का चुनाव बेहद करीबी हो सकता है, जहां थोड़ा सा वोट शेयर भी नतीजों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में सभी घटक दलों का एक स्वर में बोलना और रणनीति के अनुसार चलना जरूरी है।

पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि चिराग पासवान के बयानों का फायदा विपक्षी महागठबंधन को मिलता है, जो नीतीश कुमार पर पहले से हमलावर है। ऐसे में एनडीए को अंदरूनी विवादों को सार्वजनिक करने से बचना चाहिए।

युवाओं पर पकड़, लेकिन संयम ज़रूरी

बीजेपी चिराग पासवान की राजनीतिक क्षमता और युवा वोटर्स पर उनकी पकड़ को लेकर आश्वस्त है। पार्टी यह भी मानती है कि उनका भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन उन्हें राजनीति में संयम और रणनीतिक सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।

बीजेपी के एक शीर्ष नेता के अनुसार, 'चिराग युवा हैं, ऊर्जा से भरे हैं, लेकिन राजनीति में परिपक्वता और संतुलन भी जरूरी है। अगर वे गठबंधन का हिस्सा हैं, तो उन्हें जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए।'

पिछले अनुभव से सबक

चिराग पासवान के 2020 के विधानसभा चुनाव में उठाए गए कदम अभी भी बीजेपी के दिमाग में ताजा हैं। तब उन्होंने अकेले चुनाव लड़ते हुए जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। उस रणनीति ने एनडीए के भीतर दरार को उजागर किया था। अब जबकि गठबंधन एकजुट दिखना चाहता है, बीजेपी नहीं चाहती कि चिराग की बयानबाज़ी एक बार फिर गठबंधन की एकता को चुनौती दे।

Leave a comment