आज के समय में आधुनिक जीवनशैली, लंबे समय तक बैठे रहना, तनावपूर्ण दिनचर्या और शारीरिक सक्रियता की कमी ने नसों की समस्याओं को आम बना दिया है। नसों का बंद या जाम होना, वैरिकोज वेन्स, सूजन, अकड़न, भारीपन और थकावट जैसे लक्षणों के रूप में सामने आता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह स्थिति हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का रूप भी ले सकती है। ऐसे में योगगुरु स्वामी रामदेव द्वारा सुझाए गए योगासनों, प्राणायाम और आयुर्वेदिक उपायों की मदद से बंद नसों को खोला जा सकता है और नसों को स्वस्थ व मजबूत रखा जा सकता है।
नसें क्यों होती हैं कमजोर या ब्लॉक?
- बैठे रहने की आदत: ऑफिस में घंटों कंप्यूटर पर बैठे रहना या TV के सामने निष्क्रिय रहना।
- लंबे समय तक खड़े रहना: नौकरी की प्रकृति जैसे शिक्षक, सुरक्षाकर्मी आदि।
- वजन का अधिक होना: मोटापा नसों पर अतिरिक्त दबाव बनाता है।
- खानपान की अनियमितता: जंक फूड, कम फाइबर और अधिक नमक या चीनी।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: शरीर का लचीलापन खत्म हो जाता है और रक्तसंचार धीमा हो जाता है।
- आनुवांशिक कारण: परिवार में अगर नसों की बीमारी है, तो संभावना बढ़ जाती है।
बंद नसों के लक्षण
- पैरों में भारीपन
- नसों में उभार या गांठ
- सूजन और जलन
- त्वचा का रंग बदलना
- रात को पैरों में झनझनाहट या ऐंठन
- चलते समय दर्द
स्वामी रामदेव के योगिक उपाय
स्वामी रामदेव कहते हैं कि योग और प्राणायाम से नसों को खोला जा सकता है और उन्हें फिर से स्वस्थ बनाया जा सकता है। निम्नलिखित अभ्यास बेहद प्रभावी हैं:
1. प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम: रक्तसंचार बढ़ाता है, नसों को खोलने में मदद करता है।
- कपालभाति: शरीर से विषाक्त तत्व निकालता है, नसों को ऊर्जा देता है।
- भ्रामरी: मानसिक शांति के साथ-साथ नसों की थकावट दूर करता है।
- ऊज्जायी और भस्त्रिका: श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है और ऑक्सीजन की सप्लाई बेहतर बनाता है।
- समय: रोजाना 20-30 मिनट
- सुझाव: सुबह खाली पेट करें
2. योगासन
- पवनमुक्तासन
- सेतुबंधासन (ब्रिज पोज)
- वज्रासन
- ताड़ासन
- त्रिकोणासन
इन आसनों से शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, और नसों की जकड़न कम होती है।
आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय
स्वामी रामदेव के अनुसार, कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियां और लेप भी नसों को खोलने में बेहद असरदार होती हैं:
1. उपयोगी जड़ी-बूटियां:
- गिलोय: नसों को साफ करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- अश्वगंधा: मांसपेशियों और नसों को मजबूती देता है।
- गुग्गुल: सूजन कम करता है और नसों को खोलने में सहायक।
- गोखरू और पुनर्नवा: मूत्र संबंधी विकारों के साथ नसों की सफाई में मददगार।
2. लेप और तेल:
- अदरक का पेस्ट: गर्माहट देता है और ब्लड फ्लो बढ़ाता है।
- हल्दी और कपूर का मिश्रण: सूजन और दर्द कम करता है।
- मुल्तानी मिट्टी + एलोवेरा जेल: थकान और जलन से राहत।
- जायफल और पिपली का लेप: नसों में आई जकड़न दूर करता है।
खानपान में रखें सावधानी
- लौकी का रस, नींबू पानी, छाछ, और संतरे का जूस नसों के लिए वरदान हैं।
- मिक्स दालें, हरी सब्ज़ियाँ, फल जैसे पपीता, अनार शामिल करें।
- कम चीनी और कम नमक का सेवन करें।
- अत्यधिक मसालेदार, वसायुक्त और पैकेज्ड फूड से बचें।
जीवनशैली में करें बदलाव
- रोजाना 30 मिनट टहलें।
- बहुत टाइट कपड़े न पहनें।
- बहुत देर तक एक ही स्थिति में न रहें।
- नींद पूरी लें और तनाव से दूर रहें।
बंद नसें सिर्फ शरीर में दर्द और असहजता नहीं लातीं, बल्कि कई बार जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसे में बिना दवा के, योग और आयुर्वेद की मदद से इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। स्वामी रामदेव के बताए उपायों को अपनाकर आप फिर से अपने शरीर को लचीला, स्वस्थ और ऊर्जावान बना सकते हैं।