6–7 जुलाई 2025 को ब्राज़ील के रियो डी जनेरो में 17वां BRICS समिट होने वाला है, जिसमें इस साल समूह में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। अब BRICS में 11 सदस्य देश हैं—ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ़्रीका के साथ-साथ इंडोनेशिया, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, UAE, और सौदी अरब (invitee status में शामिल)।
क्यों है यह अहम?
ब्राज़ील इस साल BRICS का अध्यक्ष देश है, और उसने इस समिट का फोकस रखा है:
- Global South को Empower करना – इसका मकसद विकासशील देशों के बीच निवेश, ट्रेड और क्लाइमेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देना।
- AI Ethics और Digital Governance – भारत ने Cultural Ministers’ बैठक में यह पहल की कि AI को ethical framework के तहत और inclusive तरीके से विकसित किया जाए।
- New Development Bank (NDB) – वित्तीय संस्थानों में सुधार, infrastructure financing के लिए BRICS बैंक को मजबूत करना भी agendum में है।
भारत की भूमिका क्या रही?
भारत ने BRICS ट्रेड मंत्रियों की बैठक में प्रस्ताव रखा कि ब्लॉक के अंदर export controls हटाए जाएं, जिससे सप्लाई चैन न टूटे और intra-BRICS व्यापार सुचारु रहे। इसके अलावा cultural फोरम में Gajendra Singh Shekhawat ने “ethical AI respecting cultural diversity” पर ज़ोर दिया—यह कहना है कि AI को inclusive और accountable होना चाहिए।
अमेरिका में संभावित protectionist कदमों के खिलाफ, Brazil और चीन जैसे बड़े देशों ने BRICS को “rules-based multilateralism” का मजबूत प्लेटफ़ॉर्म बताया। इसके तहत BRICS एक counterbalance बन सकता है, खासकर trade barriers और global governance को लेकर।
चुनौतियाँ भी हैं
BRICS का विस्तार लेकर सदस्य देशों के बीच consensus बनाना तनावपूर्ण हो गया है; इससे Rio में joint communique पर भी लड़खड़ाहट आई थी। नए सदस्य (Egypt, Iran, UAE इत्यादि) को सामूहिक योजना में शामिल करना भी एक logistical और geopolitical चुनौती है। Rio में BRICS 2025 सिर्फ एक सम्मेलन नहीं—यह भारत और अन्य Global South देशों का platform है, जिसमें trade facilitation, ethical AI, और multilateral governance reform जैसे मुद्दों पर गंभीर बातचीत होगी।
भारत ने इस समिट में अपनी leadership और vision स्पष्ट रूप से पेश की है—export barriers हटाने की मांग, ethical AI में भागीदारी और Global South को मजबूत बनाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाया है। आगे देखने वाली बात यह होगी कि इस समिट में लिए गए निर्णय—trade agreements, NDB reforms, cultural & AI declarations—कितना तेजी से actionable होंगे और भारत के लिए एक नए global order में उसकी भूमिका कैसे shape करेंगे।