धामी कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला। उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा। मुस्लिम समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को भी मान्यता का अधिकार मिलेगा।
Uttrakhand: उत्तराखंड की राजनीति और शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा एक बड़ा फैसला शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक से सामने आया। इस बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण (Uttarakhand Minority Education Authority) के गठन का रहा। इसके साथ ही मानसून सत्र में पेश होने वाले अन्य विधेयकों पर भी कैबिनेट ने सहमति दी।
अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन
कैबिनेट ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम विधेयक को मंजूरी दी है। इसके जरिए राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देने की प्रक्रिया पारदर्शी और स्पष्ट होगी। अब तक केवल मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा मिलता था। लेकिन नए अधिनियम के बाद सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों के संस्थान भी इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की शैक्षिक संस्थाओं को मजबूत और मान्यता प्राप्त करने योग्य बनाना है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में विविधता को बढ़ावा मिलेगा और सभी समुदायों को समान अवसर मिलेंगे।
विधेयक विधानसभा सत्र में होगा पेश
कैबिनेट के फैसले के अनुसार, यह विधेयक उत्तराखंड विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो राज्य में शिक्षा का ढांचा और मजबूत होगा और अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच आसान होगी।
UCC में विवाह पंजीकरण पर भी बड़ा निर्णय
कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (UCC) के अंतर्गत विवाह पंजीकरण में संशोधन अध्यादेश को विधेयक के रूप में सदन में लाने का फैसला किया है। यह निर्णय लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। इसके लागू होने से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया और भी स्पष्ट व प्रभावी हो जाएगी।
लोकतंत्र सेनानियों को मिलेगी सुविधाएं
बैठक में लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन और अन्य सुविधाएं देने संबंधी शासनादेश के स्थान पर अधिनियम लाने पर भी सहमति दी गई। सरकार का मानना है कि यह कदम उन सेनानियों के योगदान को सम्मान देने के लिए जरूरी है जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
साक्षी सुरक्षा अधिनियम और नई स्कीम
कैबिनेट ने साक्षी सुरक्षा अधिनियम के स्थान पर नई स्कीम लाने का भी निर्णय लिया। इसका उद्देश्य न्याय प्रक्रिया में शामिल गवाहों को अधिक सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। इससे अपराध और संवेदनशील मामलों में गवाहों को सुरक्षा का भरोसा मिलेगा।
पेयजल निगम पर भी चर्चा
बैठक में पेयजल निगम के वार्षिक प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगी। यह कदम निगम के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की दिशा में माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी और भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात
कैबिनेट बैठक के बाद एक और राजनीतिक घटना ने ध्यान खींचा। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच समसामयिक मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि इस मुलाकात की राजनीतिक मायनों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।