अगर आप दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट से नियमित तौर पर सफर करते हैं, तो आने वाले समय में आपके टिकट की कीमत पहले से ज्यादा हो सकती है। वजह है कि अब इन दोनों एयरपोर्ट्स पर लगने वाली फीस में बढ़ोतरी की इजाजत मिल गई है। ट्राइब्यूनल TDSAT ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसके तहत दिल्ली एयरपोर्ट संचालित करने वाली GMR और मुंबई एयरपोर्ट चलाने वाली अदाणी ग्रुप को चार्ज बढ़ाने की अनुमति दी गई है।
गैर-उड़ान सेवाओं को भी जोड़ा जाएगा कमाई में
अब तक एयरपोर्ट की कमाई को लेकर जो नियम थे, उनमें सिर्फ उड़ानों से जुड़ी इनकम जैसे लैंडिंग फीस, पैसेंजर सर्विस फीस और यूजर डेवलपमेंट चार्ज को ही शामिल किया जाता था। लेकिन अब ट्राइब्यूनल के इस फैसले के बाद गैर-एरोनॉटिकल इनकम यानी पार्किंग फीस, दुकानों का किराया, विज्ञापन की आमदनी जैसी सेवाओं को भी एयरपोर्ट की कुल कमाई में गिना जाएगा।
क्यों बढ़ेगा टिकट का खर्च
जब एयरपोर्ट ऑपरेटर की कुल कमाई ज्यादा मानी जाएगी, तो उन्हें टिकट पर लगने वाले चार्ज बढ़ाने का आधार मिल जाएगा। एयरलाइंस कंपनियों को एयरपोर्ट को चार्ज देना होता है, और अगर एयरपोर्ट का चार्ज बढ़ेगा तो जाहिर है कि एयरलाइन कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा। इस बढ़े हुए खर्च को एयरलाइंस टिकटों में शामिल करके यात्रियों से वसूली कर सकती हैं।
कोटक की रिपोर्ट का इशारा
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 10 सालों में एयरपोर्ट चार्ज में औसतन 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका सीधा असर एयरलाइन कंपनियों की आय पर भी होगा। उदाहरण के तौर पर, भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की आय पर इसका करीब 3.4 प्रतिशत असर हो सकता है। कंपनी की FY25 में कुल कमाई ₹80,803 करोड़ रही है।
GMR और अदाणी को मिलेगा बड़ा फायदा
GMR और अदाणी दोनों ही एयरपोर्ट कंपनियों के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया है। GMR एयरपोर्ट की FY25 में कुल कमाई ₹10,414 करोड़ रही, जबकि अदाणी एयरपोर्ट्स की कमाई ₹10,224 करोड़ के आसपास रही। अब जब इनकी गैर-उड़ान आय को भी समेकित रूप से शामिल किया जाएगा, तो चार्ज बढ़ाने के लिए इन्हें अतिरिक्त आधार मिलेगा।
एयरलाइन इंडस्ट्री में नया संतुलन
इस फैसले के बाद अब एयरपोर्ट और एयरलाइन कंपनियों के बीच फीस को लेकर नया संतुलन बन सकता है। एयरलाइंस को अब एयरपोर्ट ऑपरेटर से शुल्क पर दोबारा बातचीत करनी पड़ सकती है, क्योंकि उनकी ऑपरेटिंग कॉस्ट में बदलाव आएगा। इसका सीधा असर इंडस्ट्री के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और किराया ढांचे पर पड़ेगा।
शेयर बाजार में दिखा असर
इस फैसले का असर शेयर बाजार में भी दिखा। 1 जुलाई से 11 जुलाई के बीच GMR एयरपोर्ट्स के शेयरों में करीब 5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। खास बात यह रही कि इसी दौरान निफ्टी 50 इंडेक्स में गिरावट देखी गई। यानी बाजार ने इस फैसले को एयरपोर्ट कंपनियों के लिए पॉजिटिव माना।
बढ़ सकती है यात्रियों की जेब पर मार
एयरलाइंस को अगर ज्यादा चार्ज देना होगा, तो वे उसे अपनी सेवाओं की कीमतों में जोड़ेंगी। यानी टिकट के बेस फेयर में भले बदलाव न हो, लेकिन एयरपोर्ट यूजर चार्ज और अन्य शुल्क बढ़ सकते हैं। यात्रियों को पार्किंग, एयरपोर्ट शटल, फूड कोर्ट और दुकानों पर भी अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
एयरपोर्ट पर दुकान चलाने वालों पर असर
ट्राइब्यूनल के फैसले का असर सिर्फ यात्रियों पर ही नहीं, बल्कि एयरपोर्ट परिसर में दुकानें, ब्रांड आउटलेट और सर्विस स्टॉल चलाने वाले व्यापारियों पर भी पड़ सकता है। यदि गैर-उड़ान कमाई को चार्ज के रूप में उपयोग किया जा रहा है, तो इन दुकानों का किराया बढ़ना तय माना जा रहा है।
आगे और एयरपोर्ट पर लागू हो सकता है यह मॉडल
उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई के बाद यह मॉडल देश के अन्य बड़े निजी एयरपोर्ट्स पर भी लागू हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले वक्त में अन्य मेट्रो शहरों में हवाई सफर और महंगा हो सकता है। अभी के लिए यह बदलाव केवल दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर लागू होगा, लेकिन इसकी मिसाल दूसरे शहरों के लिए भी बन सकती है।