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गूगल-IIT बॉम्बे साझेदारी से भारत को मिलेगा मेक इन इंडिया AI मॉडल और फ्री टूल्स

गूगल-IIT बॉम्बे साझेदारी से भारत को मिलेगा मेक इन इंडिया AI मॉडल और फ्री टूल्स

गूगल और IIT बॉम्बे ने भारतीय भाषाओं के लिए लोकल AI मॉडल बनाने के लिए साझेदारी की है। 'BharatGen' प्रोजेक्ट के तहत स्पीच रिकग्निशन और टेक्स्ट-टू-स्पीच टूल्स विकसित होंगे। छात्रों को एक साल का फ्री Google AI Pro सब्सक्रिप्शन मिलेगा। 

BharatGen: भारत विविध भाषाओं का देश है, जहां 22 से अधिक आधिकारिक भाषाएं और सैकड़ों बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन तकनीकी दुनिया में अधिकतर टूल और AI मॉडल अब तक अंग्रेजी-केंद्रित रहे हैं। इसी चुनौती को दूर करने के लिए अब Google ने बड़ा कदम उठाया है। टेक दिग्गज गूगल और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान IIT बॉम्बे ने मिलकर भारतीय भाषाओं के लिए नया AI मॉडल विकसित करने का निर्णय लिया है। यह साझेदारी ‘BharatGen’ नामक प्रोजेक्ट के अंतर्गत की जा रही है, जिसमें स्पीच रिकग्निशन (Speech Recognition) और टेक्स्ट-टू-स्पीच (Text-to-Speech) जैसे लोकल टूल्स विकसित किए जाएंगे।

BharatGen प्रोजेक्ट: भारतीय भाषाओं के लिए AI का लोकल समाधान

BharatGen, IIT बॉम्बे की एक विशेष पहल है, जिसका उद्देश्य है भारतीय भाषाओं में डिजिटल पहुंच को आसान बनाना। इस परियोजना में गूगल के साथ मिलकर ऐसे AI मॉडल बनाए जाएंगे जो हिंदी, तमिल, तेलुगू, बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़ जैसी भाषाओं में सहज काम कर सकें। स्पीच रिकग्निशन टूल्स के माध्यम से उपयोगकर्ता बोलकर कमांड दे सकेंगे, वहीं टेक्स्ट-टू-स्पीच तकनीक लोगों को टेक्स्ट को उनकी पसंदीदा भाषा में सुनने की सुविधा देगी। ये टूल्स शिक्षा, सरकारी सेवाओं, कृषि, हेल्थकेयर और ई-गवर्नेंस में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।

Google I/O Connect India 2025 में हुआ बड़ा ऐलान

इस साझेदारी की औपचारिक घोषणा Google के India और Asia-Pacific के सीनियर डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने बेंगलुरु में आयोजित 'Google I/O Connect India 2025' में की। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत को भाषा की बाधाओं से मुक्त करके डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगी। गुप्ता ने यह भी बताया कि गूगल की DeepMind रिसर्च को भारतीय संदर्भ में लागू करने के लिए यह बड़ा और व्यावहारिक कदम है।

AI के जरिए सामाजिक बदलाव की तैयारी

गूगल के मुताबिक भारत में AI को केवल टेक्नोलॉजी के तौर पर नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव लाने वाले उपकरण के रूप में देखा जा रहा है। DeepMind द्वारा विकसित AlphaFold जैसे टूल्स का उपयोग करके देशभर के 1.5 लाख से अधिक वैज्ञानिक कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों जैसी जटिल बीमारियों पर रिसर्च कर रहे हैं। यह AI का लोकलाइजेशन ही है जो स्वास्थ्य, ऊर्जा और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत को वैश्विक पटल पर अग्रणी बना सकता है।

छात्रों के लिए मुफ्त AI टूल्स: शिक्षा में तकनीकी क्रांति

Google ने भारत के छात्रों को AI तकनीक से जोड़ने के लिए भी बड़ा कदम उठाया है। अब भारत भर के छात्रों को Google AI Pro Plan का एक साल का मुफ्त सब्सक्रिप्शन मिलेगा। इस टूल की मदद से छात्र न सिर्फ AI मॉडल बना सकेंगे बल्कि डेटा एनालिसिस, कोडिंग, वर्चुअल असिस्टेंस जैसे कई क्षेत्रों में अपना कौशल भी बढ़ा सकेंगे। यह योजना तकनीकी शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने में भी मददगार साबित हो सकती है।

Gemma मॉडल से ‘मेक इन इंडिया’ AI का निर्माण

गूगल के ‘Gemma’ मॉडल के आधार पर अब भारतीय स्टार्टअप्स जैसे Sarvam, Soket AI और Gnani देशी AI मॉडल बना रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है भारत की भाषाई जरूरतों को समझने वाले और स्थानीय संदर्भों में प्रशिक्षित AI सिस्टम तैयार करना। ‘Sarvam-Translate’ इसी दिशा में एक बड़ा कदम है जो लंबी और जटिल भारतीय भाषाओं का प्रभावी अनुवाद करने में सक्षम है।

डेवलपर्स और इनोवेटर्स के लिए नए अवसर

गूगल ने इस पहल के साथ ही डेवलपर्स के लिए भी कई नए अवसर खोले हैं। Google Maps को अब 250 मिलियन से ज्यादा नई जगहों की जानकारी के साथ अपडेट किया गया है। साथ ही, यूनिटी के साथ मिलकर गूगल ने गेम डेवलपर्स के लिए मुफ्त ट्रेनिंग कोर्स भी लॉन्च किया है। इसके अलावा, 'Gen AI Exchange Hackathon' का आयोजन भी किया जाएगा, जहां भारतीय डेवलपर्स को अपनी AI क्षमताओं को दिखाने का मौका मिलेगा।

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