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सावन में रुद्राक्ष पहनने का बढ़ा चलन, जानिए कब और कैसे करें इसे धारण

सावन में रुद्राक्ष पहनने का बढ़ा चलन, जानिए कब और कैसे करें इसे धारण

सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने में शिव भक्त पूजा, व्रत और भक्ति में लीन रहते हैं। इसी दौरान रुद्राक्ष पहनने की परंपरा भी खास मानी जाती है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रत्यक्ष आशीर्वाद माना गया है।

कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति स्वयं शिव जी के आंसुओं से हुई थी। यही कारण है कि रुद्राक्ष को धारण करना शिव के करीब जाने जैसा माना जाता है। सावन के पावन महीने में यदि रुद्राक्ष धारण किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी गहरा होता है।

रुद्राक्ष पहनने से पहले क्या करना चाहिए

रुद्राक्ष को सीधे पहनने की बजाय पहले उसकी शुद्धि और चार्जिंग की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसे आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए कुछ खास तैयारियां की जाती हैं।

  • सबसे पहले रुद्राक्ष को 24 घंटे तक गाय के घी में भिगोकर रखें।
  • फिर इसे निकालकर गाय के दूध में कुछ घंटे के लिए डुबोएं।
  • इसके बाद गंगाजल से धोकर साफ कपड़े से पोंछ लें।
  • रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसे कपास या रेशम के धागे में पिरोया जाता है।
  • कुछ लोग इसे सोने या चांदी की चेन में भी पहनते हैं।
  • तैयार रुद्राक्ष को हाथ में लेकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है। ऐसा करने से रुद्राक्ष को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

कितने रुद्राक्ष पहनना सही होता है

रुद्राक्ष की माला में मोतियों की संख्या भी विशेष महत्व रखती है।

  • आमतौर पर 108 दानों की माला को सबसे पवित्र माना जाता है।
  • इसके साथ एक गुरु मोती (बड़ा रुद्राक्ष) भी होता है जिसे छुआ नहीं जाता।
  • कुछ लोग इसे 54 या 27 की संख्या में भी पहनते हैं।
  • माला को गले या हाथ में पहना जा सकता है, लेकिन नियमों के साथ।

रुद्राक्ष पहनने का सही समय और दिन

रुद्राक्ष पहनने के लिए समय और दिन दोनों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

  • इसे सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पहनना शुभ माना जाता है।
  • सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है, इसलिए यह सबसे उपयुक्त दिन होता है।
  • गुरुवार को भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है क्योंकि यह गुरुओं और अध्यात्म का दिन होता है।

पहनने से पहले स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और शांत चित्त से शिव मंत्रों का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें।

रुद्राक्ष पहनने के नियम क्या हैं

रुद्राक्ष को धारण करने के साथ कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। अगर ये नियम नहीं माने गए, तो इसका लाभ नहीं मिलता।

  • रुद्राक्ष को आदर और श्रद्धा से पहनें, इसे किसी भी सामान्य वस्तु की तरह न देखें।
  • शौचालय या अंतिम संस्कार जैसे अपवित्र स्थानों पर रुद्राक्ष पहनना वर्जित होता है।
  • नींद के समय रुद्राक्ष को उतारकर किसी पवित्र स्थान पर रखें।
  • मांसाहार और शराब से दूर रहें, क्योंकि ये चीजें रुद्राक्ष की पवित्रता को प्रभावित करती हैं।
  • रोजाना रुद्राक्ष को धारण करने के बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का नौ बार जाप करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को कभी ज़मीन पर न रखें और न ही किसी के साथ साझा करें।
  • अगर किसी कारण से आप रुद्राक्ष नहीं पहन पा रहे हैं, तो उसे अपने पूजा स्थान में रखकर उसकी माला से जाप कर सकते हैं।

गर्म तासीर वाला रुद्राक्ष सभी को नहीं सूट करता

रुद्राक्ष की प्रकृति गर्म मानी जाती है, इसलिए हर व्यक्ति को यह सूट नहीं करता। कई बार लोग इसे पहनकर बेचैनी, नींद में कमी या चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं।

ऐसे मामलों में इसे न पहनकर घर के मंदिर या पूजा स्थान में रखने की सलाह दी जाती है। वहां आप इसका उपयोग जाप और ध्यान के लिए कर सकते हैं।

रुद्राक्ष शरीर में ऊर्जा संतुलन बनाने का काम करता है, इसलिए इसे धारण करने से पहले अपने शरीर और मन की स्थिति को समझना जरूरी है।

सावन में रुद्राक्ष धारण करने का बढ़ा रुझान

सावन में मंदिरों में रुद्राक्ष खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ जाती है। शिव भक्तों का मानना है कि इस माह में रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है।

बाजारों में एक से लेकर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष की मांग बढ़ जाती है। हालांकि आमतौर पर पांच मुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा पहना जाता है क्योंकि यह सभी के लिए उपयुक्त और सरल माना जाता है।

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