केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ब्याज सब्सिडी योजना का लाभ उठाते हुए ग्रेनस्पैन न्यूट्रिएंट्स ने अहमदाबाद में दो अनाज आधारित एथनॉल संयंत्र स्थापित करने के लिए 520 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
एथनॉल संयंत्र: भारत में हरित ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और ठोस कदम बढ़ाते हुए ग्रेनस्पैन न्यूट्रिएंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने गुजरात के अहमदाबाद जिले में दो अनाज आधारित एथनॉल संयंत्रों की स्थापना की है। कुल 520 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 350 किलोलीटर प्रतिदिन है, जिससे पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण की सरकार की योजना को बल मिलेगा और देश की ऊर्जा आवश्यकताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में गति मिलेगी।
ईबीपी मिशन को मिलेगी नई रफ्तार
केंद्र सरकार के एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम यानी ईबीपी (Ethanol Blending Programme) के तहत इन संयंत्रों की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर तेल आयात पर निर्भरता को कम करना है। ग्रेनस्पैन इन संयंत्रों के माध्यम से पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) को एथनॉल की नियमित आपूर्ति कर रही है।
ग्रेनस्पैन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज खंडेलवाल के अनुसार, गुजरात में फिलहाल तीन अनाज आधारित एथनॉल संयंत्र हैं, जिनमें से दो का संचालन ग्रेनस्पैन कर रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ब्याज सब्सिडी योजना से प्रेरित होकर कंपनी ने यह पहल की, जिससे वे राज्य में अनाज आधारित एथनॉल प्लांट स्थापित करने वाली पहली कंपनी बनी।
पहले प्लांट की सफलता ने बढ़ाया आत्मविश्वास
ग्रेनस्पैन का पहला संयंत्र मई 2023 में अहमदाबाद के भामसरा गांव में शुरू हुआ था। यह संयंत्र गुजरात का पहला अनाज आधारित एथनॉल प्लांट था, जिसकी क्षमता 110 किलोलीटर प्रतिदिन रही। इस प्लांट को केंद्र सरकार की ब्याज सब्सिडी योजना के तहत 120 करोड़ रुपये के कर्ज के जरिए स्थापित किया गया था। इसके बाद कंपनी ने मई 2024 में उसी स्थान पर दूसरा संयंत्र चालू किया, जिसकी लागत 360 करोड़ रुपये रही और इसकी क्षमता 240 किलोलीटर प्रतिदिन है। यह संयंत्र पूरी तरह निजी निवेश से स्थापित किया गया है, जिसमें सरकार की कोई वित्तीय सहायता नहीं ली गई।
मक्का और चावल बना हरित ईंधन का स्रोत
इन संयंत्रों की विशेषता यह है कि ये मक्का और टूटे हुए चावल को कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं। यह रणनीति दोहरा लाभ देती है – एक ओर जहां यह कृषि उत्पादों को उपयोगी बनाती है, वहीं दूसरी ओर यह आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को घटाती है। संयंत्रों की इस तकनीक के माध्यम से ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती मिलती है।
आर्थिक लाभ और रोजगार की संभावनाएं
कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी पंकित शाह ने बताया कि दोनों संयंत्र पूरी तरह चालू अवस्था में हैं और एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 में ग्रेनस्पैन लगभग 8 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति करेगी। यह एथनॉल पेट्रोलियम कंपनियों को 72 रुपये प्रति लीटर की दर पर बेचा जाएगा, जिससे कंपनी को 576 करोड़ रुपये की आय होने की संभावना है। अगले वर्ष यानी 2025-26 में आपूर्ति बढ़ाकर 12 करोड़ लीटर करने की योजना है, जिससे कंपनी को 800 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल सकता है।
इस निवेश से न केवल कंपनी को व्यावसायिक लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। संयंत्रों के संचालन, रखरखाव और कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर परिवहन तक विभिन्न चरणों में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
सरकार की नीति बनी प्रेरणा
भारत सरकार द्वारा ऊर्जा आत्मनिर्भरता को लेकर बनाई गई नीतियों और ब्याज सब्सिडी योजना ने ग्रेनस्पैन जैसे निजी निवेशकों को इस क्षेत्र में उतरने के लिए प्रेरित किया। मनोज खंडेलवाल ने कहा कि यदि नीति और समर्थन इसी तरह मिलता रहा तो भारत ना केवल अपनी एथनॉल जरूरतें पूरी कर सकेगा बल्कि भविष्य में इसका निर्यात भी कर पाएगा।
उनका मानना है कि भारत में एथनॉल उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं और यदि राज्य सरकारें भी केंद्र की तरह प्रोत्साहन दें तो देशभर में इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा।
हरित ऊर्जा के साथ स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में कदम
एथनॉल पेट्रोल में मिलाए जाने पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आती है। यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। साथ ही यह देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रेनस्पैन द्वारा गुजरात में स्थापित किए गए संयंत्र न केवल राज्य को हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाएंगे, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।