क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के राकेश व्यास के अनुसार, अमेरिका-भारत संबंधों में सुधार और 25% एडिशनल टैरिफ की वापसी की संभावना से साल 2025 के अंत से भारतीय बाजार में राहत रैली शुरू हो सकती है। बैंकिंग, हाउसिंग फाइनेंस, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, रिटेल और क्विक कॉमर्स सेक्टरों में मजबूत कमाई की उम्मीद है। हालांकि, इक्विटी की रि-रेटिंग सीमित रहने की संभावना है।
Market rally: क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के चीफ राकेश व्यास का मानना है कि अमेरिका-भारत संबंधों में हालिया सुधार और भारतीय वस्तुओं पर 25% एडिशनल टैरिफ की वापसी से साल 2025 के अंत से बाजार में राहत रैली शुरू हो सकती है। विशेष रूप से बैंकिंग और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में मजबूत कमाई की संभावना है। वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार और सरकारी नीतिगत उपायों से निवेशकों को सपोर्ट मिलेगा।
बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर में संभावनाएं
राकेश व्यास का मानना है कि प्राइवेट सेक्टर के दो बड़े बैंकों में निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है। उनके अनुसार इन बैंकों को मजबूत एसेट क्वालिटी और लाइबिलिटी फ्रेंचाइजी का सपोर्ट हासिल है। वहीं एनबीएफसी सेक्टर में वे उन कंपनियों को पसंद करते हैं जिनमें ग्रोथ की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि घटती ब्याज दरों के दौर में ये सेक्टर सबसे ज्यादा फायदे में रहने वाले सेक्टर रहेंगे।
वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से सुधार की उम्मीद
राकेश व्यास ने बताया कि पिछली 5-6 तिमाहियों में कॉर्पोरेट अर्निंग्स कमजोर रही हैं। लेकिन वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से इसमें सुधार की संभावना है। उन्होंने कहा कि पिछले 8-9 महीनों में केंद्र सरकार और आरबीआई द्वारा किए गए नीतिगत सुधार कंपनियों को सपोर्ट देंगे। इन सुधारों से बैंकिंग, हाउसिंग फाइनेंस और अन्य कॉर्पोरेट सेक्टर में मुनाफे में सुधार देखा जा सकता है।
सरकार का खपत बढ़ाने पर फोकस
व्यास ने कहा कि वित्त वर्ष 2020 से 2024 तक भारत में सरकारी खर्च में लगातार बढ़ोतरी रही। वित्त वर्ष 2020 में सरकारी आवंटन 3.4 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 9.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत से सरकार का फोकस उपभोग बढ़ाने की तरफ बढ़ा है। इस प्रयास को आरबीआई की सहायक पॉलिसी ने और मजबूती दी है।
प्राइवेट सेक्टर में बढ़ोतरी की संभावना
जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन में सुधार आएगा। इसके चलते प्राइवेट सेक्टर के कैपेक्स में आने वाले सालों में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है। राकेश व्यास के अनुसार यह कदम निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत देगा और बाजार की तरलता को बेहतर बनाएगा।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और रिटेल सेक्टर में तेजी
व्यास ने बताया कि खर्च करने योग्य आय बढ़ने और GST में कटौती होने से डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन वाले सेक्टरों में खरीदारी बढ़ेगी। विशेषकर त्योहारी सीजन में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, केमिकल, रिटेल और क्विक कॉमर्स शेयरों में तेजी की उम्मीद है। इसके अलावा एमएसएमई से जुड़े शेयरों में भी मांग बढ़ने से तेजी आ सकती है।
भारतीय इक्विटी की रि-रेटिंग पर नजर
राकेश व्यास ने कहा कि पिछले 8-9 महीनों में सरकार और RBI द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों से वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार की संभावना है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं रखी जानी चाहिए। बाजार का प्रदर्शन अर्निंग ग्रोथ पर निर्भर रहेगा और निकट भविष्य में भारतीय इक्विटी की रि-रेटिंग की संभावना सीमित है।
दरों में कटौती की संभावना
आरबीआई ने पिछले 8-9 महीनों में कई बार दरों में कटौती की है। हाल ही में GST में की गई कटौती से रिटेल महंगाई में लगभग 30 बेसिस प्वाइंट की कमी आने की उम्मीद है। राकेश व्यास के अनुसार आरबीआई आगे कोई नया कदम उठाने से पहले पिछले कटौतियों के प्रभाव का आकलन करेगा। इस वजह से कैलेंडर वर्ष 2025 के अंतिम दौर में दरों में और कटौती की संभावना बनी हुई है।