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हाईटेक कमांड सेंटर से हो रही अमरनाथ यात्रा की 24x7 निगरानी, जानिए क्या है इसकी खास विशेषताएं

हाईटेक कमांड सेंटर से हो रही अमरनाथ यात्रा की 24x7 निगरानी, जानिए क्या है इसकी खास विशेषताएं

अमरनाथ यात्रा को दुनिया की सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में गिना जाता है, जहां दुर्गम पहाड़ी रास्ते, लगातार बदलते मौसम और सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चुनौतियां इसे प्रशासन के लिए हर साल एक बड़ी परीक्षा बना देती हैं।  इस बार जम्मू-कश्मीर प्रशासन और अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए हाई‑टेक कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की है, जहां से दोनों प्रमुख रूट—बालटाल और पहलगाम—पर श्रद्धालुओं की निगरानी चौबीसों घंटे की जा रही है।

 अत्याधुनिक निगरानी

श्रीनगर के बाहरी HMT इलाके में स्थापित इस कंट्रोल रूम में 101 PTZ कैमरों के साथ 950 से अधिक अन्य हाई‑टेक कैमरे लगे हुए हैं। ये कैमरे बालटाल, डुमैल, पंजतरणी, काली माता, चंदनवारी, पिशूटॉप, शेषनाग और पवित्र अमरनाथ गुफा जैसे 25 से अधिक प्रमुख स्थलों की लाइव मॉनिटरिंग कर रहे हैं। यात्रियों के ट्रैकिंग डेटा के आधार पर वास्तविक समय में लोकेशन और टाइमिंग का पता लगाया जाता है, जिससे किसी भी असामान्य स्थिति का पता चलते ही तत्काल कार्रवाई संभव हो।

सुरक्षा में बहु-आयामी दृष्टिकोण

यह कमांड कंट्रोल सेंटर CRPF, ITBP, BRO और श्राइन बोर्ड समेत 35 विभागों के अधिकारियों द्वारा साझा रूप से संचालित किया जा रहा है। हर विभाग का हिस्सा पूरी तरह जागरूक है और चौबीसों घंटे सक्रिय रहा है। कैप्टिव कंट्रोल रूम से साझा ऑपरेश्नल विज़िबिलिटी मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सहायता, लॉजिस्टिक्स और यात्री सुव्यवस्था के सभी तत्व संतुलित तरीके से कार्य कर रहे हैं।

 फेशियल रिकग्निशन का नया आयाम

डिविजनल कमिश्नर वीके बिधोरी ने बताया कि सेंटर को अपग्रेड करते समय फेशियल रिकग्निशन सिस्टम को जोड़ा गया है। इससे संदिग्ध गतिविधियों या बड़ी संख्या में इकट्ठे श्रद्धालुओं में किसी व्यक्ति की पहचान करने में मदद मिल रही है, चाहे वह खोया या सतर्कता की दृष्टि से संदिग्ध हो। कैमरों की संख्या बढ़ने से निगरानी दायरा व्यापक और तेज हुआ है।
हमारा उद्देश्य है कि एक भी तीर्थयात्री असुरक्षित महसूस न करे या उसे किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े,— बिधोरी ने यह स्पष्ट भी किया।

आपातकालीन स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया

कमांड सेंटर यात्रा के दौरान किसी भी अप्रत्याशित समस्या जैसे मौसम खराब होना, चोटिल होना, या सुरक्षा संबंधी किसी भी जरूरी स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है। रियल टाइम डेटा के आधार पर प्रशासनिक अधिकारी तुरन्त स्थिति का आकलन कर कार्यवाही करते हैं—चरम मौसम में मदद भेजना हो, किसी घायल को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करना हो या मार्ग में जमा भीड़ को समायोजित करना हो।

 इतनी संख्या में श्रद्धालु

इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी। अब तक 1.20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं। प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि इस बार श्रद्धुलों की संख्या रेकॉर्ड दर्जा पार करेगा, साथ ही तीर्थ यात्रा पर्यटन में भी उन्नति होगी। यात्रियों की भीड़ तेजी से बढ़ रही है, जिससे लॉजिस्टिक, आवासीय सुविधा और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की मांग बढ़ गई है। प्रशासन ने सुरक्षा के साथ ही ये सुनिश्चित किया है कि यात्रा में किसी को भी असुविधा न हो।


हाई‑टेक कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 950 से अधिक कैमरे, 35 विभागों की संयुक्त निगरानी, फेशियल रिकग्निशन सिस्टम और त्वरित आपात प्रबंधन संभव बनाना—यह सब इस बार यात्रा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार ला रहा है। हालांकि ये तकनीकें अचूक नहीं, लेकिन इन्हें लागू करना प्रशासन की सुरक्षा चिंताओं के जवाब में सकारात्मक पहल है।

अगले हफ्तों में जैसे-जैसे तीर्थयात्रा अपने चरम पर पहुंचेगी, यह नियंत्रण प्रणाली और भी प्रमाणित तरीके से कार्य करेगी—सुरक्षा-चूक रिक्ति को भरते हुए और श्रद्धालुओं को एक सुखद अनुभव सौंपते हुए।

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