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हाई कोर्ट ने याचिका ठुकराई — माज़ार कब्रिस्तान की दुरुस्ती में नहीं होगा हस्तक्षेप

हाई कोर्ट ने याचिका ठुकराई — माज़ार कब्रिस्तान की दुरुस्ती में नहीं होगा हस्तक्षेप

देवरिया से एक अहम खबर — इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल गनी शाह शरीफ की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वे राजस्व अभिलेखों में माज़ार और कब्रिस्तान की दुरुस्ती (कॉरेक्शन) को चुनौती दे रहे थे।

न्यायाधीश रोहित रंजन अग्रवाल ने स्पष्ट कहा कि अदालत पहले अधिकारियों की प्रक्रिया और नोटिस का जवाब देने का मौका देना जरूरी समझती है। सीधे हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

याची का तर्क था कि यह मामला वक्फ संपत्ति सूची का है और इसे राजस्व कानून की प्रक्रियाओं के तहत नहीं छेड़ा जाना चाहिए। अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि वह इस विवाद में फिलहाल दखल नहीं दे सकती।

यह मामला इस मायने में खास है क्योंकि 1993 में यह माज़ार व कब्रिस्तान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सूची में दर्ज थे। अब राजस्व अभिलेखों में संशोधन की कार्रवाई ने विवाद खड़ा कर दिया।

निष्कर्षतः, हाई कोर्ट ने याची को निर्देश दिए हैं कि वे वैधानिक प्रक्रिया (अधिकारियों के समक्ष) के द्वारा अपनी बात रखें।

खबर का सार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देवरिया जिले में अब्दुल गनी शाह शरीफ की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में मजार और कब्रिस्तान के राजस्व अभिलेखों में सुधार (दुरुस्तीकरण) की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया है और कहा कि याची (याचिकाकर्ता) के पास संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखने और नोटिस का जवाब देने का विकल्प मौजूद है।

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