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हिंदुजा ग्रुप चेयरमैन गोपीनाथ हिंदुजा की पढ़ाई कहां से हुई? जाने मुंबई के इस कॉलेज का नाम

हिंदुजा ग्रुप चेयरमैन गोपीनाथ हिंदुजा की पढ़ाई कहां से हुई? जाने मुंबई के इस कॉलेज का नाम

हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति गोपीनाथ पी. हिंदुजा का 85 साल की उम्र में लंदन में निधन हो गया. मुंबई के जय हिंद कॉलेज से पढ़ाई करने वाले गोपीनाथ ने पारिवारिक कारोबार को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने ईमानदारी, व्यावहारिक ज्ञान और अंतरराष्ट्रीय सोच के दम पर हिंदुजा ग्रुप को दुनिया के बड़े उद्योग समूहों में शामिल किया.

Gopichand Hinduja Education and Legacy: हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीनाथ पी. हिंदुजा का लंदन में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. भारत में जन्मे और मुंबई के जय हिंद कॉलेज से पढ़ाई करने वाले गोपीनाथ ने परिवार के व्यवसाय को वैश्विक स्तर तक पहुंचाया. उन्होंने 1959 में स्नातक पूरा किया और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कदम रखा. उनकी नेतृत्व क्षमता, नैतिकता और नवाचार ने हिंदुजा ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. गोपीनाथ हिंदुजा को व्यापार जगत में उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ भी मिलीं.

बई से शुरू हुई शिक्षा, यहां बनी सोच

गोपीनाथ हिंदुजा का जन्म 29 जनवरी 1940 को हुआ था और उन्होंने शुरुआती पढ़ाई मुंबई में की. जय हिंद कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने परिवार के कारोबार में कदम रखा और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दिशा तय की. कॉलेज के दौरान उन्होंने व्यापार को समाज के विकास का माध्यम माना, न कि केवल आर्थिक लाभ का साधन.

उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य दृष्टिकोण को बड़ा करना और सही सोच विकसित करना है. वे कहते थे कि सफलता सिर्फ जानकारी से नहीं, बल्कि सीखने की इच्छा, ईमानदारी और मेहनत से मिलती है. इसी विचारधारा ने आगे चलकर हिंदुजा ग्रुप को दुनिया भर में एक मजबूत पहचान दिलाई.

मानद डॉक्टरेट से मिला सम्मान

हालांकि उन्होंने औपचारिक उच्च शिक्षा नहीं की, लेकिन व्यावहारिक अनुभव और काम के प्रति समर्पण ने उन्हें दुनिया के बड़े उद्योगपतियों की श्रेणी में ला खड़ा किया. उनके योगदान को देखते हुए उन्हें दो मानद डॉक्टरेट उपाधियाँ मिलीं, एक लॉ में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर से और दूसरी इकोनॉमिक्स में रिचमंड कॉलेज, लंदन से.

इन सम्मान ने साबित किया कि उनकी उपलब्धियाँ सिर्फ व्यापारिक सफलता तक सीमित नहीं थीं. वे नैतिकता, नवाचार और वैश्विक कारोबारी दृष्टिकोण के प्रतीक रहे, जिसने भारतीय उद्योग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दी.

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