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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सपा जिला कार्यालय को खाली कराने का आदेश रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सपा जिला कार्यालय को खाली कराने का आदेश रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय को लेकर जिला प्रशासन के खाली कराने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए कहा कि 1994 से आवंटित यह भवन सपा का वैध जिला कार्यालय है।

प्रयागराज: सिविल लाइंस स्थित चक्कर की मिलक में समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय को लेकर चल रहे विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जिला प्रशासन द्वारा कार्यालय खाली कराने के आदेश को रद्द करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। इस फैसले से समाजवादी पार्टी को बड़ी राहत मिली है और फिलहाल कार्यालय को लेकर चल रही कार्रवाई पर रोक लग गई है।

30 वर्षों से सपा का जिला कार्यालय संचालित

सिविल लाइंस के चक्कर की मिलक स्थित यह भवन वर्ष 1994 में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को आवंटित किया गया था। तब से यहां पार्टी का जिला कार्यालय संचालित हो रहा है, जहां वर्षों से जनता की समस्याएं सुनी जाती रही हैं।

पार्टी के अनुसार, आवंटन के बाद से नियमित किराया जमा किया जा रहा है — जो प्रारंभ में 250 रुपये मासिक था और बाद में बढ़कर 500 रुपये कर दिया गया। इस कार्यालय से पार्टी की जिला स्तरीय राजनीतिक गतिविधियाँ, बैठकें और जनता दरबार निरंतर आयोजित होते रहे हैं।

प्रशासन ने सपा दफ्तर खाली करने का नोटिस दिया

अगस्त माह में अचानक जिला प्रशासन ने इस संपत्ति का आवंटन रद्द करते हुए दो सप्ताह के भीतर भवन खाली करने का नोटिस जारी किया। प्रशासन का दावा था कि यह नगर निगम की संपत्ति है और उस पर अवैध कब्जा किया गया है।

समाजवादी पार्टी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताते हुए विरोध दर्ज कराया। पार्टी का कहना था कि यह कार्रवाई निष्पक्ष प्रशासनिक प्रक्रिया के बजाय राजनीतिक दबाव में की जा रही है। प्रशासन की सख्ती के बाद सपा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने सपा के पक्ष में सुनाया फैसला

मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच — जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह — के समक्ष हुई। सपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन, विनीत विक्रम और कुणाल शाह ने पक्ष रखते हुए कहा कि 1994 में किए गए आवंटन को कभी विधिवत रद्द नहीं किया गया।

उन्होंने यह भी दलील दी कि सपा कार्यालय में कोई अवैध कब्जा नहीं है और पिछले तीन दशकों से नियमित रूप से राजनीतिक व सामाजिक कार्य किए जा रहे हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रशासनिक कार्रवाई को अवैध बताते हुए आदेश रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट से सपा को बड़ी राहत मिली

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में जिला प्रशासन के नोटिस को खारिज करते हुए वर्तमान स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया। अदालत ने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी भी पक्ष को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता।

इस फैसले से समाजवादी पार्टी को बड़ी राहत मिली है। पार्टी नेताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है। वहीं प्रशासन अब अगले कदम पर विचार कर रहा है। कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल प्रयागराज में सपा का जिला कार्यालय यथावत रहेगा और किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर पूर्ण रोक लगाई गई है।

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