Columbus

इंटरमिटेंट फास्टिंग: वजन घटाने से ज्यादा, शरीर को मिलते हैं ये फायदे

इंटरमिटेंट फास्टिंग: वजन घटाने से ज्यादा, शरीर को मिलते हैं ये फायदे

इंटरमिटेंट फास्टिंग खाने और फास्टिंग के समय को सीमित करने वाला डाइट पैटर्न है। यह वजन घटाने, मेटाबॉलिज्म सुधारने, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने और हॉर्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है। पुरुष लंबे फास्टिंग पैटर्न आसानी से अपना सकते हैं, जबकि महिलाओं के लिए छोटे पैटर्न जैसे 12:12 या 14:10 सुरक्षित हैं।

intermittent fasting affect: इंटरमिटेंट फास्टिंग एक डाइट पैटर्न है, जिसमें खाने और फास्टिंग के समय को निर्धारित किया जाता है। 16:8, 5:2 और ईट-स्टॉप-ईट जैसे पैटर्न लोकप्रिय हैं। यह वजन घटाने, फैट बर्निंग, इंसुलिन सेंसिटिविटी सुधारने, ऑटोफैगी बढ़ाने और हॉर्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है। पुरुष लंबे फास्टिंग पैटर्न अपना सकते हैं, जबकि महिलाओं के लिए छोटे पैटर्न जैसे 12:12 या 14:10 सुरक्षित माने जाते हैं। हाइड्रेशन और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक डाइट पैटर्न है, जिसमें खाने और फास्टिंग के समय को सीमित किया जाता है। इसमें कैलोरी कम करने की बजाय भोजन करने का समय तय किया जाता है। सबसे आम पैटर्न 16:8 है, जिसमें 16 घंटे फास्टिंग और 8 घंटे में भोजन करना होता है। इसके अलावा 5:2 पैटर्न भी काफी लोकप्रिय है, जिसमें हफ्ते में 5 दिन सामान्य भोजन और 2 दिन कम कैलोरी वाला भोजन किया जाता है। कुछ लोग ईट-स्टॉप-ईट पैटर्न अपनाते हैं, जिसमें हफ्ते में एक या दो बार 24 घंटे की फास्टिंग होती है।

इसका मुख्य उद्देश्य मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाना, शरीर का फैट बर्न करना और डिटॉक्स करना होता है। साथ ही सही तरीके से अपनाने पर यह मानसिक स्वास्थ्य और ऊर्जा स्तर को भी बेहतर बनाता है।

शरीर पर फायदे

इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर में कई तरह के फायदों से जुड़ा है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी को सुधारता है। इससे वजन घटाने और फैट बर्न करने में मदद मिलती है। फास्टिंग शरीर में ऑटोफैगी प्रक्रिया को बढ़ावा देती है, जिससे पुराने और खराब सेल्स रिपेयर होकर नई सेल्स का निर्माण करती हैं।

इसके अलावा फास्टिंग हृदय की सेहत, मस्तिष्क की कार्यक्षमता और पाचन तंत्र को सपोर्ट करती है। सूजन कम होती है और ऊर्जा का स्तर स्थिर रहता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सही तरीके से फास्टिंग करने से शरीर का हॉर्मोनल बैलेंस भी बना रहता है।

महिलाओं और पुरुषों पर अलग असर

एम्स की डायटिशियन डॉ परमजीत कौर के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर महिलाओं और पुरुषों पर अलग हो सकता है। पुरुषों में यह वजन घटाने और मेटाबॉलिज्म सुधारने में तेज असर दिखाता है क्योंकि उनका मेटाबॉलिज्म स्वाभाविक रूप से तेज होता है। पुरुषों में फास्टिंग से टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ता है और मांसपेशियों की मजबूती में सुधार होता है।

वहीं महिलाओं के लिए लंबे समय तक फास्टिंग हॉर्मोनल इम्बैलेंस का कारण बन सकती है। महिलाओं में फास्टिंग का असर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन पर पड़ सकता है। इसलिए महिलाओं को अक्सर छोटे-छोटे फास्टिंग पैटर्न जैसे 12:12 या 14:10 अपनाने की सलाह दी जाती है। पुरुष लंबे फास्टिंग पैटर्न को भी आसानी से अपना सकते हैं।

सही तरीके से फास्टिंग करने के उपाय

इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सबसे पहले फास्टिंग शुरू करने से पहले डॉक्टर या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की सलाह लें। महिलाओं को लंबे समय तक फास्टिंग से बचना चाहिए। पर्याप्त पानी पीकर हाइड्रेशन बनाए रखना बहुत जरूरी है।

अगर फास्टिंग के दौरान कमजोरी, चक्कर या हॉर्मोनल बदलाव दिखाई दें तो तुरंत फास्टिंग बंद कर दें। धीरे-धीरे पैटर्न अपनाना और शरीर को इसकी आदत डालना सबसे अच्छा तरीका है।

Leave a comment