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ITR की आखिरी तारीख नजदीक, डेडलाइन से पहले जांच लें ये जरूरी बातें, वरना देना होगा भारी जुर्माना

ITR की आखिरी तारीख नजदीक, डेडलाइन से पहले जांच लें ये जरूरी बातें, वरना देना होगा भारी जुर्माना

ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है। देर होने पर जुर्माना और रिफंड में देरी हो सकती है। जल्दबाजी से बचने के लिए सही फॉर्म चुनना, सभी इनकम सोर्सेज की जानकारी देना, बैंक अकाउंट वेरिफाई करना, सेल्फ-असेसमेंट टैक्स चुकाना और समय पर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी है।

ITR Filing 2025: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 नजदीक है। समय सीमा चूकने पर 1,000 से 5,000 रुपये तक का जुर्माना और रिफंड में देरी हो सकती है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को जरूरी है कि फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट और इन्वेस्टमेंट प्रूफ जैसे दस्तावेज पहले से तैयार रखें, सही ITR फॉर्म चुनें और सभी आय स्रोतों की जानकारी सही ढंग से भरें। साथ ही, बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड कर लें, सेल्फ-असेसमेंट टैक्स चुका दें और रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन समय पर पूरा करें, ताकि भविष्य की परेशानियों से बचा जा सके।

जरूरी दस्तावेज पहले से तैयार रखें

रिटर्न फाइल करते समय सबसे पहले जरूरी दस्तावेज इकट्ठा कर लें। इसमें फॉर्म 16, वार्षिक सूचना विवरण यानी एआईएस, टीडीएस सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट और निवेश प्रमाण पत्र शामिल हैं। दस्तावेज पहले से व्यवस्थित होने पर जानकारी भरते समय गड़बड़ी नहीं होती। इससे गलत विवरण देने या मिसमैच जैसी स्थिति से भी बचा जा सकता है। टैक्स विभाग बाद में इनकम और दस्तावेजों में अंतर मिलने पर नोटिस भेज सकता है, इसलिए पहले से तैयारी करना जरूरी है।

बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन न भूलें

रिफंड केवल उन्हीं बैंक खातों में आता है जो पैन और आधार से जुड़े और प्री-वैलिडेटेड हों। कई टैक्सपेयर इस स्टेप को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके चलते उन्हें रिफंड मिलने में दिक्कत होती है। आखिरी वक्त की परेशानी से बचने के लिए इनकम टैक्स पोर्टल पर लॉग इन कर बैंक अकाउंट को पहले ही प्री-वैलिडेट कर लेना चाहिए।

हर इनकम सोर्स की जानकारी दें

रिटर्न भरते समय सभी इनकम स्रोतों की जानकारी देना जरूरी है। इसमें सैलरी, किराये से मिली आय, ब्याज, कैपिटल गेन, कृषि आय और डिविडेंड शामिल हैं। चाहे इनकम टैक्स की सीमा से नीचे हो, फिर भी उसका उल्लेख करना जरूरी है। ऐसा करने से भविष्य में किसी तरह के नोटिस से बचा जा सकता है।

सही ITR फॉर्म का चुनाव करें

ITR भरते समय सबसे बड़ी गलती गलत फॉर्म चुनने की होती है। इनकम के प्रकार और टैक्सपेयर की कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग फॉर्म बनाए गए हैं। नौकरीपेशा लोग आम तौर पर ITR-1 भरते हैं। वहीं जिनकी इनकम बिजनेस से है या कैपिटल गेन से जुड़ी है, उन्हें ITR-2 या ITR-3 भरना पड़ता है। अगर फॉर्म गलत चुना गया तो रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है।

बकाया टैक्स का भुगतान करें

अगर टीडीएस और एडवांस टैक्स समायोजन के बाद भी टैक्स देना बाकी है तो रिटर्न फाइल करने से पहले उसका भुगतान करना होगा। पोर्टल पर जाकर सेल्फ-असेसमेंट टैक्स की कैलकुलेशन की जा सकती है और चालान के जरिए पेमेंट किया जा सकता है। अगर टैक्स बकाया छोड़कर फाइल किया गया तो उस पर धारा 234A, 234B और 234C के तहत ब्याज और जुर्माना लग सकता है।

ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी

ITR फाइल करने के बाद उसे ई-वेरिफाई करना अनिवार्य है। इसके लिए आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर का विकल्प उपलब्ध है। अगर 30 दिनों के भीतर वेरिफिकेशन पूरा नहीं किया गया तो रिटर्न अमान्य हो जाएगा और दोबारा फाइल करना पड़ेगा। कई लोग फाइल करने के बाद इस स्टेप को भूल जाते हैं, जिससे उनकी मेहनत बेकार हो जाती है।

देर करने पर जुर्माने का प्रावधान

अगर टैक्सपेयर अंतिम तारीख तक रिटर्न फाइल नहीं करता तो आयकर विभाग उस पर जुर्माना लगाता है। अगर इनकम 5 लाख रुपये तक है तो 1,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वालों को 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। साथ ही रिफंड की प्रक्रिया भी देर से होगी।

तेजी से बढ़ रही फाइलिंग की रफ्तार

जैसे-जैसे आखिरी दिन पास आ रहे हैं, पोर्टल पर ITR भरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। टैक्स विभाग भी लगातार टैक्सपेयर्स को समय पर फाइल करने की अपील कर रहा है ताकि तकनीकी दिक्कतों से बचा जा सके। समय रहते दस्तावेज तैयार रखने और स्टेप्स को सही तरीके से पूरा करने से न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है बल्कि रिफंड भी समय पर मिल सकता है।

आखिरी समय में की गई जल्दबाजी अक्सर बड़ी गलतियों का कारण बन जाती है। इसलिए ध्यानपूर्वक और पूरी जानकारी के साथ रिटर्न भरना ही टैक्सपेयर के लिए सुरक्षित विकल्प है।

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