22 सितंबर से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% GST हट जाएगा, जिससे पॉलिसीहोल्डर्स को बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन अगर आपकी पॉलिसी की रिनुअल तारीख 22 सितंबर से पहले है, तो प्रीमियम लेट करने पर जीएसटी बचाने की कोशिश आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है और नो-क्लेम बोनस जैसे फायदे छूट सकते हैं।
Insurance Policy Premium: सरकार ने 22 सितंबर 2025 से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST पूरी तरह हटाने का ऐलान किया है। फिलहाल इन पर 18% GST लगता है, लेकिन नए नियम के बाद पॉलिसीधारकों को यह टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि, जिनकी पॉलिसी की रिनुअल तारीख 22 सितंबर से पहले है और जिनका इनवॉइस पहले ही जेनरेट हो चुका है, उन्हें पुराने नियमों के हिसाब से GST देना पड़ेगा। लेट करने पर ग्राहक नो-क्लेम बोनस और रिनुअल डिस्काउंट जैसे लाभ भी खो सकते हैं।
22 सितंबर से पहले रिनुअल पर देना होगा जीएसटी
अगर आपकी पॉलिसी की रिनुअल डेट 22 सितंबर से पहले है, तो प्रीमियम भुगतान में देर करना आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। कई लोग यह सोचकर पेमेंट रोक रहे हैं कि 22 सितंबर के बाद GST से छूट मिल जाएगी। लेकिन अगर कंपनी ने पहले ही इनवॉइस जारी कर दिया है और आपकी पॉलिसी 22 सितंबर से पहले रिन्यू होनी है, तो आपको जीएसटी चुकाना ही पड़ेगा।
कितना होगा फायदा
22 सितंबर के बाद जब GST खत्म हो जाएगा, तो लोगों को सीधा आर्थिक लाभ होगा। उदाहरण के लिए, अभी अगर किसी हेल्थ या लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम 1000 रुपये है, तो 18 प्रतिशत GST जोड़कर कुल रकम 1180 रुपये बनती है। लेकिन नए नियम लागू होने के बाद यही प्रीमियम केवल 1000 रुपये में चुकाना होगा। इससे पॉलिसीधारकों के खर्च में कमी आएगी।
नो-क्लेम बोनस और डिस्काउंट पर असर
समय पर प्रीमियम न भरने पर आप नो-क्लेम बोनस और रिनुअल डिस्काउंट जैसे कई फायदे गंवा सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे ग्राहकों को यह लाभ तभी देती हैं, जब प्रीमियम नियत समय पर भर दिया जाए। इस कारण जीएसटी बचाने के चक्कर में देर करना आपके लिए उल्टा भारी पड़ सकता है।
इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम इनवॉइस पहले से जारी करती हैं। अगर इनवॉइस 22 सितंबर से पहले जेनरेट हो चुका है, तो चाहे आप भुगतान इस तारीख के बाद भी करें, आपको GST देना पड़ेगा। वहीं, अगर इनवॉइस 22 सितंबर या उसके बाद जारी हुआ है, तभी आपको GST छूट का लाभ मिलेगा। यानी यहां असली मायने रिनुअल डेट और इनवॉइस की तारीख रखते हैं, न कि आपके भुगतान करने की तारीख।
बीमा कंपनियों के लिए नई चुनौती
GST खत्म होने के बाद बीमा कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी का फायदा नहीं मिलेगा। अभी तक कंपनियां एजेंट कमीशन, रीइंश्योरेंस और विज्ञापनों पर किए गए खर्च पर आईटीसी का दावा कर सकती थीं। लेकिन अब यह सुविधा खत्म हो जाएगी। ऐसे में कंपनियों को ऑपरेशनल खर्च बढ़ने का डर है।
प्रीमियम दरों में बदलाव की संभावना
बीमा कंपनियां अपने बढ़ते खर्च को संतुलित करने के लिए प्रीमियम दरों में थोड़ा इजाफा कर सकती हैं। हालांकि इससे टैक्स हटने का फायदा पूरी तरह से खत्म नहीं होगा, लेकिन ग्राहकों को उतना सीधा लाभ नहीं मिलेगा, जितनी उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां अपने खर्च की भरपाई के लिए बेस प्रीमियम बढ़ा सकती हैं।
ग्राहकों के लिए राहत
फिलहाल ग्राहकों के लिए सबसे बड़ी राहत यही है कि अब उन्हें पॉलिसी खरीदने या रिन्यू करने पर अतिरिक्त 18 प्रतिशत टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इससे हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस जैसी पॉलिसियां लोगों के लिए ज्यादा किफायती हो जाएंगी। खासकर उन लोगों को राहत मिलेगी, जो हर साल लंबे समय के लिए बड़ा प्रीमियम भरते हैं।
इंश्योरेंस सेक्टर में बढ़ेगी मांग
विशेषज्ञ मानते हैं कि GST खत्म होने से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों की मांग बढ़ सकती है। अभी तक टैक्स की वजह से बहुत से लोग पॉलिसी लेने से पीछे हटते थे। लेकिन अब प्रीमियम की लागत घटने के बाद ज्यादा लोग इंश्योरेंस खरीदने की ओर आकर्षित होंगे।