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जी-20 शेरपा: अमिताभ कांत का इस्तीफा, 45 वर्षों की शानदार प्रशासनिक यात्रा का समापन

जी-20 शेरपा: अमिताभ कांत का इस्तीफा, 45 वर्षों की शानदार प्रशासनिक यात्रा का समापन

भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देश की नौकरशाही में उनके 45 वर्षों के समर्पणपूर्ण सेवाकाल का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। 

नई दिल्ली: भारत की नौकरशाही के एक प्रेरणास्पद और दूरदर्शी चेहरे अमिताभ कांत ने अपने 45 वर्षों के शानदार करियर के बाद G20 शेरपा पद से इस्तीफा देकर एक युग का अंत कर दिया है। उन्होंने न केवल केंद्र और राज्य सरकारों में प्रमुख प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाईं, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को निखारने में भी अहम भूमिका निभाई।

सोमवार को किए गए इस इस्तीफे की जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया के जरिए दी। उनके इस फैसले से नौकरशाही से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल है, लेकिन साथ ही उनके योगदान को लेकर व्यापक स्तर पर प्रशंसा भी हो रही है।

45 साल की सेवा, अब नई उड़ान

सोशल मीडिया पर अमिताभ कांत ने लिखा, 45 वर्षों की समर्पित सेवा के बाद, मैंने नए अवसरों की तलाश और एक नया अध्याय शुरू करने का निर्णय लिया है। यह यात्रा गर्व, प्रतिबद्धता और देश सेवा की भावना से भरी रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि, PM मोदी का विश्वास और समर्थन मेरे लिए प्रेरणा रहा। मुझे गर्व है कि मैंने भारत की G20 अध्यक्षता में सक्रिय भूमिका निभाई और देश के विकास एजेंडे को वैश्विक मंच तक पहुंचाया।

G20 अध्यक्षता: करियर का शिखर

2022 में उन्हें भारत का G20 शेरपा नियुक्त किया गया था। G20 जैसे वैश्विक मंच पर भारत की नेतृत्व क्षमता को सिद्ध करने में कांत की कूटनीतिक सूझबूझ, समन्वय कौशल और नीति निर्माण में गहरी समझ ने अहम भूमिका निभाई। उनकी अगुवाई में नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन पर सभी सदस्य देशों की एकमत सहमति बनी, जो 2023 की सबसे बड़ी कूटनीतिक उपलब्धियों में गिनी गई। उन्होंने विकासशील देशों की आवाज बुलंद की और "ग्लोबल साउथ" के मुद्दों को एजेंडे में प्रमुखता से शामिल करवाया।

अमिताभ कांत की पहचान सिर्फ एक उच्च अधिकारी की नहीं, बल्कि परिकल्पनाओं को धरातल पर उतारने वाले रणनीतिकार के रूप में भी रही है। जब वे केरल सरकार में कार्यरत थे, तब उन्होंने 'God’s Own Country' अभियान का नेतृत्व किया, जिसने राज्य को वैश्विक पर्यटन नक्शे पर स्थापित कर दिया। इसके बाद केंद्र सरकार में रहते हुए उन्होंने 'Incredible India' अभियान को तैयार किया, जिसने भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विविधता को एक ब्रांड की तरह प्रस्तुत किया। यह पहल न केवल पर्यटन में क्रांतिकारी साबित हुई, बल्कि इससे रोजगार और राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

नीति आयोग के युग में संरचनात्मक बदलाव

कांत ने नीति आयोग के CEO के रूप में भी कई नई पहल कीं। उन्होंने 'Aspirational Districts Programme' की शुरुआत की, जिससे देश के पिछड़े जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और बुनियादी ढांचे में सुधार लाने की दिशा में ठोस कार्य हुआ। उन्होंने देश को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, साइकल4चेंज, और सिटी चैलेंजेज जैसे कार्यक्रमों के जरिए प्रतिस्पर्धी, नवोन्मेषी और सतत विकास की राह पर अग्रसर किया।

अमिताभ कांत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक और जेएनयू से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने आईएएस की 1980 बैच में केरल कैडर से सेवा शुरू की। उनके कार्यकाल में प्रशासनिक दृष्टिकोण आधुनिक हुआ और उन्होंने प्रभावशाली ब्रांडिंग और डिजिटल इंडिया जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया।

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