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Axiom Mission 4: निजी अंतरिक्ष उड़ान को एक बार फिर लगा ब्रेक, शुभांशु शुक्ला को करना होगा इंतजार

Axiom Mission 4: निजी अंतरिक्ष उड़ान को एक बार फिर लगा ब्रेक, शुभांशु शुक्ला को करना होगा इंतजार

एक्सिओम मिशन-4 (Axiom Mission 4) के प्रक्षेपण में एक बार फिर देरी हो गई है। पहले यह मिशन 19 जून 2025 को लॉन्च होने वाला था, लेकिन अब नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स ने यह स्पष्ट किया है कि प्रक्षेपण अब 22 जून से पहले संभव नहीं होगा।

Axiom Mission 4: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होने वाला चौथा निजी अंतरिक्ष मिशन "Axiom Mission 4 (Ax-4)" एक बार फिर समय की उलझनों में फंस गया है। अब इस मिशन की लॉन्चिंग 19 जून को नहीं होगी, जैसा कि पहले निर्धारित किया गया था। नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस की संयुक्त घोषणा के अनुसार, अब 22 जून से पहले प्रक्षेपण नहीं किया जाएगा।

इस देरी का मुख्य कारण है – ISS के रूसी खंड ‘ज्वेज्दा’ (Zvezda) सेवा मॉड्यूल में हाल ही में किए गए मरम्मत कार्य के बाद उसके संचालन का गहन मूल्यांकन। नासा इस तकनीकी निरीक्षण को गंभीरता से ले रही है और पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही लॉन्च की अनुमति दी जाएगी।

क्या है Axiom Mission 4?

Axiom Mission 4 एक ऐतिहासिक मिशन है, जो अंतरिक्ष पर्यटन और व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ानों की दिशा में दुनिया को एक और कदम आगे ले जाता है। यह मिशन स्पेसएक्स के Falcon 9 रॉकेट और Crew Dragon अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा स्थित नासा के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से लॉन्च होगा। इस मिशन में कुल 4 अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं — जो तकनीकी, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व का अनूठा संगम हैं।

चालक दल: भारत की मौजूदगी बनी गर्व का विषय

इस मिशन में भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है क्योंकि भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस अभियान में पायलट की भूमिका में शामिल हैं। शुभांशु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े रहे हैं और यह मिशन उनके करियर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा पड़ाव साबित होगा।

मिशन की कमान नासा की पूर्व अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के हाथों में होगी, जो पहले भी तीन अंतरिक्ष अभियानों में रह चुकी हैं और कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। इसके अलावा, दो अन्य मिशन विशेषज्ञ होंगे — पोलैंड से स्लावोज उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की (ESA के सहयोगी अंतरिक्ष यात्री) और हंगरी से टिबोर कपू।

देरी क्यों हुई?

इस मिशन में हो रही देरी सिर्फ तकनीकी कारणों से नहीं, बल्कि सुरक्षा की उच्च प्राथमिकता को दर्शाती है। हाल ही में ISS के रूसी खंड में मरम्मत कार्य किया गया था, जिसके बाद से वहाँ की संचालन प्रणाली और स्थिरता का गहन मूल्यांकन जारी है। नासा का मानना है कि किसी भी प्रकार की जल्दबाजी मिशन की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है।

इस देरी से न केवल नासा को जांच का पर्याप्त समय मिलेगा, बल्कि एक्सिओम और स्पेसएक्स को भी आवश्यक अंतिम तैयारी करने का अतिरिक्त समय मिल जाएगा।

एक्सिओम मिशन क्यों है खास?

यह Axiom Space का चौथा मिशन है, लेकिन इसका महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि यह भविष्य की वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन परियोजनाओं की नींव रखता है। इस मिशन में शामिल वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयोगों से लंबे समय तक अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति को लेकर नई जानकारियां मिलेंगी। भारत जैसे देशों की भागीदारी से यह मिशन वैश्विक सहभागिता का उदाहरण बन रहा है।

अब मिशन टीम लॉन्च से पहले 19 जून को एक नई घोषणा करेगी, जिसमें संभावित लॉन्च विंडो और मौसम की स्थिति पर जानकारी दी जाएगी। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो 22 जून या उसके बाद कभी भी यह मिशन उड़ान भर सकता है।

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