जितिया 2025 के पारण पर्व पर माताएं अपने व्रत का समापन पारंपरिक व्यंजनों और जीमूतवाहन के भोग के साथ करती हैं। जिमीकंद, अरबी, सतपुतिया और मटर-पोई साग जैसे पौष्टिक व्यंजन पारण की थाली में प्रमुख हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि व्रती माताओं को ऊर्जा और स्वास्थ्य भी प्रदान करता है।
Jitiya Parana 2025: माताएं अपने संतान की लंबी उम्र और कल्याण की कामना के साथ 15 सितंबर को जितिया व्रत का पारण करेंगी। यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाएगा और इसमें पारंपरिक व्यंजन जैसे जिमीकंद की सब्जी, अरबी की सब्जी, सतपुतिया और मटर-पोई साग तैयार किए जाएंगे। पारण के दौरान सबसे पहले जीमूतवाहन को भोग लगाया जाता है। यह दिन व्रती माताओं और परिवार के लिए धार्मिक, पौष्टिक और उत्सवपूर्ण महत्व रखता है।
पारंपरिक व्यंजन और भोग
- जिमीकंद की सब्जी: पारण की थाली में जिमीकंद की सब्जी विशेष स्थान रखती है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है और सबसे पहले इसका भोग जीमूतवाहन को लगाया जाता है। इसके बाद व्रती माताएं और परिवार के अन्य सदस्य इसे ग्रहण करते हैं।
- अरबी की सब्जी: पारण में अरबी की सब्जी भी तैयार की जाती है। इसे कुछ क्षेत्रों में कंदा भी कहा जाता है। यह व्यंजन पारण की थाली में अनिवार्य माना जाता है और स्वाद के साथ पोषण भी प्रदान करता है।
- सतपुतिया की सब्जी: इसे झिंगी भी कहा जाता है। यह हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन होता है। जितिया पारण में लगभग हर जगह सतपुतिया की सब्जी बनाई जाती है।
- मटर-पोई साग: पारण की थाली में मटर या चने के साथ मिलाकर पुई या पोई साग भी शामिल होता है। इसे मालाबार पालक के नाम से भी जाना जाता है। यह पत्तेदार सब्जी पौष्टिकता और स्वाद दोनों देती है।
पौष्टिकता और ऊर्जा
जितिया व्रत के उपवास के बाद माताएं जब ये व्यंजन ग्रहण करती हैं, तो उन्हें आवश्यक ऊर्जा मिलती है और कमजोरी महसूस नहीं होती। पारंपरिक व्यंजन न केवल व्रत के सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखते हैं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य और ताजगी भी प्रदान करते हैं।