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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, महबूबा मुफ्ती ने केंद्र से की बड़ी अपील

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, महबूबा मुफ्ती ने केंद्र से की बड़ी अपील

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 14 अगस्त को सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की और केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए कहा। 

Mehbooba Mufti On Supreme Court: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर दाखिल याचिका की सुनवाई 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि पहलगाम में जो घटनाएँ हुईं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के निर्णय लेना संसद और कार्यपालिका का कार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब देने का निर्देश भी दिया।

इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार में आत्मविश्वास की कमी है और वह जम्मू-कश्मीर पर अपना कड़ा नियंत्रण कम करने को तैयार नहीं है।

महबूबा मुफ्ती का बयान

पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार में आत्मविश्वास की कमी है और वह जम्मू-कश्मीर पर अपने कड़े नियंत्रण को कम करने के लिए तैयार नहीं है। महबूबा मुफ्ती ने कहा, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद भी केंद्र सरकार यहां कड़े नियंत्रण को कम करने के लिए तैयार नहीं दिखती। यह स्थिति राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से गहरे गतिरोध को दर्शाती है।

 

पीडीपी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा केवल राज्य के दर्जे या संवैधानिक स्थिति का सवाल नहीं है। जब तक नई दिल्ली स्थानीय लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं को समझकर मूल मुद्दे का सामना नहीं करती, तब तक यह क्षेत्र अनिश्चित स्थिति में ही रहेगा। अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार अपनी पिछली गलतियों को सुधारते हुए एक ईमानदार संवाद और मेल-मिलाप की प्रक्रिया शुरू करे, जिससे इस क्षेत्र में स्थायी शांति और गरिमा स्थापित हो सके।

महबूबा ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र यह दिखाता है कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र की स्थिरता पर भरोसा नहीं करती और इसे लेकर अविश्वास की स्थिति बनी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका का विवरण

इस याचिका को शिक्षाविद् जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक ने दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध की थी। वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया, तो चीफ जस्टिस ने 22 अप्रैल की घटना का हवाला दिया।

सरकार के वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने का आश्वासन पूरा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा देने का फैसला संवेदनशील और गंभीर विषय है, जिसमें कई कारकों पर विचार करना आवश्यक है। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि राज्य का दर्जा केवल संवैधानिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सुरक्षा, राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी व्यापक प्रभाव डालता है।

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