जम्मू-कश्मीर में एलजी मनोज सिन्हा ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों के चलते दो शिक्षकों गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार को बर्खास्त किया। दोनों लश्कर-ए-तैयबा के ओवर ग्राउंड वर्कर पाए गए और जीरो टॉलरेंस नीति का पालन किया गया।
Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों के चलते दो सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि ये कार्रवाई आतंकवाद के प्रति सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का हिस्सा है। पिछले पांच वर्षों में उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत लगभग 80 सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है।
दो शिक्षकों की बर्खास्तगी का कारण
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार, दोनों शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की हैं। अधिकारियों ने बताया कि दोनों कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) संगठन की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल पाए गए थे। ये शिक्षक आतंकवादियों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर रहे थे और वित्तीय सहायता, भर्ती तथा लॉजिस्टिक्स सपोर्ट में शामिल थे।
गुलाम हुसैन के खिलाफ आरोप
गुलाम हुसैन रियासी जिले का निवासी है। वह 2004 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक नियुक्त हुआ और 2009 में नियमित शिक्षक बन गया। वह सरकारी प्राथमिक विद्यालय कलवा, महौर में कार्यरत था। जांच में पाया गया कि वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हैंडलर्स मोहम्मद कासिम और गुलाम मुस्तफा के संपर्क में था। 2023 में उसकी गिरफ्तारी के दौरान सामने आया कि उसने आतंकियों के परिवारों को वित्तीय सहायता, भर्ती और लॉजिस्टिक मदद प्रदान की थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, उसकी गतिविधियां केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं थीं बल्कि आतंकी विचारधारा से प्रेरित थीं।

माजिद इकबाल डार राजौरी जिले में शिक्षक के पद पर नियुक्त था। उसने 2009 में लैब असिस्टेंट के रूप में काम शुरू किया और 2019 में शिक्षक बना। जांच में सामने आया कि वह भी लश्कर-ए-तैयबा का ओवर ग्राउंड वर्कर था और नार्को-टेरर नेटवर्क से जुड़ा था। जनवरी 2023 में राजौरी के जे एंड के बैंक के पास IED मिलने के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि उसने पाकिस्तान स्थित हैंडलर के निर्देश पर विस्फोटक लगाने में सहयोग किया। जेल में भी उसके कट्टरपंथी झुकाव बने रहने की सूचना मिली।
एलजी मनोज सिन्हा की आतंकवाद के प्रति नीति
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जो भी व्यक्ति आतंकवाद को आर्थिक या वैचारिक समर्थन देता है, वह समाज और शांति दोनों के लिए खतरा है। हमारी जीरो टॉलरेंस नीति जारी रहेगी जब तक आतंक नेटवर्क पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता।" उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से जुड़े सभी मामलों में सख्ती बरती जाएगी और कोई भी सुरक्षा उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का इतिहास
पिछले पांच वर्षों में उपराज्यपाल प्रशासन ने आतंकवाद से जुड़े मामलों में लगभग 80 सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ व्यापक अभियान का हिस्सा है। इस अभियान में शिक्षा, प्रशासन और सुरक्षा क्षेत्रों में शामिल कर्मचारियों की भूमिका पर निगरानी रखी जा रही है।
 
                                                                        
                                                                             
                                                











