Columbus

कैबिनेट मीटिंग 2025: सरकार ने दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए 11,440 करोड़ रुपये के मिशन को दी मंजूरी

कैबिनेट मीटिंग 2025: सरकार ने दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए 11,440 करोड़ रुपये के मिशन को दी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने दालों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए 11,440 करोड़ रुपये की छह साल की योजना को मंजूरी दी। इस मिशन से दाल उत्पादन और किसानों की आय बढ़ेगी, जबकि देश की दालों पर विदेशी निर्भरता कम होगी। साथ ही, 57 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की भी स्वीकृति दी गई, जिनमें बालवाटिका (प्री-प्राइमरी) शामिल होगी।

Cabinet Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने दालों में आत्मनिर्भरता के लिए 2025-26 से 2030-31 तक छह साल की योजना को मंजूरी दी, जिसके लिए 11,440 करोड़ रुपये खर्च होंगे। योजना में उत्पादन बढ़ाना, किसानों को बीज और प्रशिक्षण देना शामिल है। इसके अलावा, कैबिनेट ने 57 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने को भी मंजूरी दी, जिनमें प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए बालवाटिका शामिल है।

दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन' को मंजूरी दी है। यह मिशन वित्तीय वर्ष 2025-26 से शुरू होकर 2030-31 तक लागू रहेगा। इसके तहत कुल 11,440 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मिशन का मुख्य उद्देश्य देश में दालों का उत्पादन बढ़ाना और उन्हें लेकर आत्मनिर्भर बनाना है। इससे भारत की दालों के लिए अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

इस योजना में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे और खेती के टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस मिशन से देश में दालों की खेती का रकबा 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ सकता है और उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंच जाएगा। प्रति हेक्टेयर उपज भी 1,130 किलोग्राम तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

किसानों को MSP का लाभ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत 842 अरब रुपये मंजूर किए हैं। यह कदम किसानों को आर्थिक सहारा देने और खेती के प्रति उनकी उत्सुकता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

किसानों के लिए मुफ्त बीज किट और प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ-साथ धान की कटाई के बाद खाली पड़ी जमीन और अन्य उपयुक्त क्षेत्रों को दाल उत्पादन के लिए चुना जाएगा। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और खेती के टिकाऊ तरीके अपनाने में मदद करेगी।

योजना में रिसर्च और बीज प्रणाली शामिल

इस छह साल की योजना में दालों की नई किस्मों का विकास, कीटों और मौसमी समस्याओं से लड़ने वाली फसलें, और खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों में इन किस्मों का परीक्षण किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये किस्में स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं।

किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारें पांच साल की बीज उत्पादन योजनाएं बनाएंगी। ICAR ब्रीडर बीजों की देखरेख करेगा, जबकि फाउंडेशन और प्रमाणित बीज राज्य और केंद्र की एजेंसियां तैयार करेंगी। इन सभी गतिविधियों की निगरानी SATHI पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।

साल 2030-31 तक इस मिशन के तहत किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जाने की योजना है। इससे लगभग 370 लाख हेक्टेयर जमीन पर दालों की खेती संभव हो सकेगी।

57 नए केंद्रीय विद्यालयों को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर में 57 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने को भी मंजूरी दी है। यह फैसला केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लिया गया है। इन स्कूलों के लिए कुल अनुमानित खर्च 5,862.55 करोड़ रुपये होगा। यह व्यय नौ साल की अवधि में किया जाएगा।

नई योजना में प्री-प्राइमरी स्तर या बालवाटिका के साथ स्कूल खोलने की भी मंजूरी दी गई है। इसका मतलब है कि तीन साल के बच्चों के लिए भी शिक्षा का प्रबंध किया जाएगा। इसके तहत 2,585.52 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए और 3,277.03 करोड़ रुपये परिचालन व्यय के लिए आवंटित किए गए हैं।

केंद्रीय कैबिनेट के अन्य फैसले

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दाल उत्पादन और केंद्रीय विद्यालयों के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं। इन फैसलों से शिक्षा और कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में बड़ी प्रगति की उम्मीद है। विशेष रूप से किसानों और बच्चों के लिए यह योजनाएं लाभकारी सिद्ध होंगी।

कुल मिलाकर, केंद्रीय कैबिनेट की यह बैठक देश के कृषि और शिक्षा क्षेत्र के लिए अहम रही। दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने और नए स्कूलों की स्थापना से देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।

Leave a comment