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करोड़ों कर्मचारियों के PF खाते खाली, सरकार ने निकासी पर लगाई नई शर्तें

करोड़ों कर्मचारियों के PF खाते खाली, सरकार ने निकासी पर लगाई नई शर्तें

केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, करीब 50% EPF खाताधारकों के खाते में 20,000 रुपये से कम बैलेंस है और 87% के पास रिटायरमेंट तक 1 लाख रुपये से कम की बचत रहती है। इसके चलते समय से पहले पूरी निकासी पर सख्ती बढ़ाई गई है। आंशिक निकासी आसान होगी, जबकि न्यूनतम बैलेंस और लंबी प्रतीक्षा अवधि से भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

EPFO new rules: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के हालिया आंकड़े चिंताजनक हैं, जिसमें 50% खाताधारकों के पास 20,000 रुपये से कम और 87% के पास रिटायरमेंट तक 1 लाख रुपये से कम जमा है। इसके समाधान के लिए सरकार ने आंशिक निकासी को आसान बनाने के साथ ही पूरी निकासी पर सख्ती बढ़ाई है। अब न्यूनतम 25% बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य होगा और नौकरी छोड़ने के बाद पूर्ण PF निकासी के लिए 12 महीने, जबकि पेंशन फंड के लिए 36 महीने का इंतजार करना होगा। इस कदम का उद्देश्य कर्मचारियों की तत्काल जरूरत और भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है।

PF खातों में स्थिति

हालिया आंकड़ों के अनुसार, लगभग 50% कर्मचारियों के PF खाते में निकासी के समय 20,000 रुपये से कम की राशि होती है। वहीं 75% कर्मचारियों के खाते में 50,000 रुपये से कम जमा है। 87% सदस्यों के पास रिटायरमेंट के समय 1 लाख रुपये से भी कम राशि होती है। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि अधिकांश लोग अपने बुढ़ापे के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर पा रहे हैं। छोटी जरूरतों के लिए बार-बार निकासी उनकी रिटायरमेंट सुरक्षा को कमजोर कर रही है।

निकासी पर नई शर्तें

सरकार ने समय से पहले फंड निकालने की प्रक्रिया को कड़ा कर दिया है। अब PF खाते में न्यूनतम 25% बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि कर्मचारी अपना खाता पूरी तरह खाली नहीं कर पाएंगे। नौकरी छोड़ने के बाद पूरी राशि निकालने के लिए अब 2 महीने की बजाय पूरे 12 महीने का इंतजार करना होगा। पेंशन फंड की निकासी के लिए समय सीमा बढ़ाकर 36 महीने यानी तीन साल कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, इससे 75% पेंशनधारियों की तत्काल निकासी की आदत पर रोक लगेगी और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।

जहां एक तरफ सरकार ने पूरी निकासी पर सख्ती की है, वहीं आंशिक निकासी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। कर्मचारियों को इलाज, शिक्षा या शादी जैसी आपात परिस्थितियों में आसानी से पैसा मिल सके, इसके लिए नियम आसान किए गए हैं। पिछले साल EPFO को आंशिक निकासी के लिए 7 करोड़ आवेदन मिले, जिनमें से 6 करोड़ आवेदन मंजूर किए गए। अधिकारियों ने बताया कि इस दोहरी रणनीति से कर्मचारियों को जरूरत पड़ने पर पैसा मिलता रहेगा और साथ ही उनके खाते में न्यूनतम बैलेंस और ब्याज बना रहेगा।

कर्मचारी नामांकन अभियान

EPFO ने उन कर्मचारियों के लिए नई योजना शुरू की है, जो अब तक PF का हिस्सा नहीं बन पाए। यह योजना 1 नवंबर से लागू होगी। इसका लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो जुलाई 2017 से अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी में आए लेकिन उनका PF खाता नहीं खुल सका। इस योजना के तहत, नियोक्ता को कर्मचारी का बकाया योगदान और उस पर ब्याज जमा करना होगा। यदि कर्मचारी का वेतन कटौती से पहले PF में नहीं गया, तो उसे पिछला हिस्सा जमा करने से छूट दी जाएगी।

सरकार ने 2017 से नामांकन न करने वाले नियोक्ताओं पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है। केवल 100 रुपये का मामूली जुर्माना लगाया गया है, ताकि अधिक से अधिक कर्मचारी इस योजना का लाभ उठा सकें। सरकार का मानना है कि छोटी-छोटी बचत समय के साथ बड़े रिटायरमेंट फंड में बदल सकती है।

कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रिटायरमेंट फंड

सरकार की यह नीति कर्मचारियों के लिए संतुलित रणनीति है। एक तरफ आंशिक निकासी की सुविधा दी गई है, ताकि कर्मचारी अपनी वास्तविक जरूरतों के लिए पैसा निकाल सकें। दूसरी तरफ पूरी राशि निकालने पर लगाई गई शर्तें उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। न्यूनतम बैलेंस और लंबी निकासी अवधि से PF खाते पर लगातार ब्याज मिलता रहेगा और रिटायरमेंट फंड सुरक्षित रहेगा।

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