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क्या धरती पर जन्म लेने वाले हैं भगवान कल्कि? जानिए कहां और कब होगा अवतार

क्या धरती पर जन्म लेने वाले हैं भगवान कल्कि? जानिए कहां और कब होगा अवतार

हिंदू धर्म की मान्यता है कि जब धरती पर पाप और अधर्म का स्तर अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है, तब भगवान खुद अवतार लेते हैं। हर युग में भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतार लिया। सतयुग से लेकर द्वापर युग तक के अवतारों के बारे में धर्मग्रंथों में विस्तार से बताया गया है। अब बारी है कलियुग के अंतिम अवतार की, जिसे कल्कि अवतार कहा जाता है।

कौन हैं भगवान कल्कि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कल्कि, श्रीहरि विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं। अब तक विष्णु जी ने नौ अवतार लिए हैं और दसवां अवतार यानी कल्कि अवतार अभी होना बाकी है। यह अवतार तभी होगा जब धरती पर पाप, अन्याय और अधर्म का बोलबाला होगा और मानवता संकट में होगी।

कहां होगा जन्म

पौराणिक ग्रंथों और खासतौर पर कल्कि पुराण में बताया गया है कि भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान में होगा। यह जगह पहले भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती रही है।

किसके घर होगा जन्म

ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होगा। उनके पिता का नाम विष्णुयशा और माता का नाम सुमति होगा। यह परिवार धर्मपरायण और वेदों में आस्था रखने वाला होगा।

कब होगा जन्म

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान कल्कि का जन्म कलियुग के अंतिम चरण में होगा। जब धरती पर अधर्म बढ़ जाएगा, समाज में अराजकता फैल जाएगी और नैतिक मूल्य खत्म हो जाएंगे, तब उनका अवतरण होगा।

यह समय कलियुग और सतयुग के संधिकाल में होगा। पंचांग के अनुसार, यह जन्म सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होगा।

कैसे होंगे कल्कि भगवान

भगवान कल्कि को निष्कलंक अवतार माना गया है। उनका रूप तेजस्वी और दिव्य होगा। वह एक सफेद घोड़े पर सवार होंगे, जिसका नाम देवदत्त होगा। उनके हाथ में चमकदार तलवार होगी, जिससे वे अधर्म और पाप का अंत करेंगे।

ग्रंथों में उल्लेख है कि वे वेदों, पुराणों और शास्त्रों के ज्ञाता होंगे। साथ ही उन्हें 64 कलाओं में निपुण बताया गया है। उनका उद्देश्य होगा धरती से पाप का नाश करना और सतयुग की शुरुआत करना।

परशुराम होंगे गुरु

कल्कि अवतार के गुरु महर्षि परशुराम होंगे। धर्मग्रंथों के अनुसार, परशुराम चिरंजीवी माने जाते हैं और वे कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे। वे ही भगवान कल्कि को शस्त्र विद्या और धर्म का ज्ञान देंगे। परशुराम का मार्गदर्शन भगवान कल्कि के जीवन में अहम भूमिका निभाएगा।

कल्कि के भाई भी निभाएंगे अहम भूमिका

कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि के तीन भाई होंगे। ये भाई भी धर्म की स्थापना में उनका साथ देंगे। सभी भाई मिलकर समाज में धर्म की पुनः स्थापना करेंगे और पापियों का नाश करेंगे।

किसका करेंगे वध

भगवान कल्कि का अवतार विशेष रूप से कलियुग के प्रतीक 'कलि' नामक राक्षस के नाश के लिए होगा। कलि ही वह शक्ति है जो अधर्म, भ्रष्टाचार, पाप और अन्याय को बढ़ावा देती है। कल्कि अवतार का उद्देश्य होगा इस राक्षसी प्रवृत्ति का अंत करना और समाज को पुनः सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर लाना।

शादी किससे होगी

धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान कल्कि का विवाह देवी लक्ष्मी के अवतार पद्मा से होगा। देवी पद्मा सिंहल द्वीप के राजा वृहद्रथ और रानी कौमुदी की पुत्री होंगी।

कुछ ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि कल्कि भगवान का विवाह देवी वैष्णवी के शक्ति रूप रमा से भी होगा। इन विवाहों के माध्यम से कल्कि का पारिवारिक जीवन भी धर्म और संस्कारों का प्रतीक माना जाता है।

कल्कि के नाम में क्या है विशेष

'कल्कि' शब्द का अर्थ है 'कलियुग का संहारक'। यह नाम ही उनके उद्देश्य को दर्शाता है। जिस तरह से पहले विष्णु अवतारों ने समाज में धर्म की स्थापना की, उसी तरह कल्कि भी अधर्म और पाप को मिटाकर धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

कैसी होगी कल्कि की सवारी

भगवान कल्कि की सवारी सफेद रंग के दिव्य घोड़े 'देवदत्त' पर होगी। यह घोड़ा इतना तेज गति वाला होगा कि वह आकाश में उड़ सकता है। इस घोड़े के जरिए कल्कि पूरे संसार में यात्रा करेंगे और पापियों का संहार करेंगे।

कितनी उम्र होगी कल्कि भगवान की

कल्कि पुराण में वर्णन मिलता है कि कल्कि अवतार की उम्र सौ साल से अधिक होगी। इस दौरान वे दुनिया को अधर्म से मुक्त करेंगे और एक नए युग की शुरुआत करेंगे।

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