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मालगाड़ी से वंदे भारत तक: टीटागढ़ रेल सिस्टम्स की नई रणनीति

मालगाड़ी से वंदे भारत तक: टीटागढ़ रेल सिस्टम्स की नई रणनीति

भारतीय रेलवे के लिए माल डिब्बे बनाने वाली निजी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड अब पैसेंजर कोच निर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी भूमिका निभाने जा रही है।

भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण अभियान में अब निजी कंपनियों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। ऐसी ही एक प्रमुख कंपनी है टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड, जिसने न केवल मालगाड़ी के डिब्बों में विशेषज्ञता हासिल की है, बल्कि अब यात्री कोच निर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई है। इसी प्रगति का असर सोमवार को शेयर बाजार में देखने को मिला, जब बाजार में गिरावट के बावजूद टीटागढ़ के शेयरों ने मजबूती दिखाई।

गिरावट के बीच टीटागढ़ का शानदार प्रदर्शन

सोमवार को जब भारतीय शेयर बाजार में अधिकांश कंपनियों के स्टॉक्स गिरावट में कारोबार कर रहे थे, उस समय टीटागढ़ रेल सिस्टम्स के शेयरों में दो प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई। बीएसई में कंपनी का शेयर 866.75 रुपये पर बंद हुआ था, और सोमवार को यह 852.80 रुपये पर खुलने के बाद 888.55 रुपये तक पहुंच गया। सुबह साढ़े ग्यारह बजे यह 884.20 रुपये पर ट्रेड कर रहा था। यह प्रदर्शन बाजार के मौजूदा ट्रेंड के विपरीत था, जिससे निवेशकों की इस कंपनी के प्रति बढ़ती रुचि साफ झलक रही है।

क्यों बढ़ी टीटागढ़ रेल सिस्टम्स की हिस्सेदारी

कंपनी की सफलता के पीछे मुख्य वजह है उसका तेजी से बढ़ता पैसेंजर कोच व्यवसाय। टीटागढ़ रेल सिस्टम्स अब मालवाहक डिब्बों के साथ-साथ मेट्रो और वंदे भारत जैसी हाई-एंड पैसेंजर ट्रेनों के कोच भी बना रही है। इसके अलावा कंपनी जल्द ही भारतीय रेलवे के लिए फोर्ज व्हील्स (रेल कोच के पहिए) का भी निर्माण शुरू करने वाली है, जो अब तक विदेशों से आयात किए जाते थे।

वैगन से लेकर वंदे भारत तक का सफर

टीटागढ़ रेल सिस्टम्स पहले मालगाड़ी के वैगनों के निर्माण में अग्रणी मानी जाती थी। इस क्षेत्र में इसका अनुभव और गुणवत्ता भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही जाती रही है। कंपनी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर पृथ्वीश चौधरी ने हाल ही में बताया कि टीटागढ़ को अब वैगन निर्माता के बजाय एक संपूर्ण रेल समाधान प्रदाता के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पैसेंजर कोच का कारोबार आने वाले समय में माल डिब्बे व्यवसाय से बड़ा बन सकता है।

मेट्रो और स्लीपर वंदे भारत कोच निर्माण में व्यस्त

टीटागढ़ का कोलकाता के उत्तरपाड़ा में स्थित प्लांट इस समय बेंगलुरु, पुणे, अहमदाबाद और सूरत के लिए मेट्रो कोच का निर्माण कर रहा है। इसके अलावा, कंपनी को भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के साथ मिलकर 80 स्लीपर वंदे भारत ट्रेन सेट्स के निर्माण का भी आदेश मिला है। यह प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे के उस बड़े विजन का हिस्सा है, जिसमें हाई-स्पीड, आरामदायक और लंबी दूरी की यात्राओं के लिए घरेलू स्तर पर ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है।

कोच उत्पादन में सरकार का समर्थन बना प्रेरणा

कंपनी के डिप्टी एमडी के अनुसार, सरकार की ओर से पैसेंजर कोच निर्माण को बढ़ावा देने की नीति ने कंपनी को इस क्षेत्र में विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि पहले जहां कंपनी के कुल कारोबार में पैसेंजर कोच का योगदान केवल 5 से 6 प्रतिशत था, वहीं आने वाले 4 से 5 सालों में यह हिस्सा 50 से 60 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

ऑर्डर बुक में 62 प्रतिशत हिस्सा पैसेंजर रेल का

फिलहाल कंपनी के पास लगभग 24 हजार 500 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक है। इसमें से 62 प्रतिशत ऑर्डर पैसेंजर रेल से जुड़े हैं, जबकि 38 प्रतिशत वैगन से। कंपनी ने अहमदाबाद मेट्रो को 34 ट्रेन सेट की डिलीवरी का कार्य भी लगभग पूरा कर लिया है, जिसमें से 33 सेट पहले ही सौंपे जा चुके हैं। यह दर्शाता है कि कंपनी समयबद्ध तरीके से बड़े प्रोजेक्ट पूरे करने में सक्षम है।

देशी पहियों की दिशा में बड़ा कदम

कंपनी ने रामकृष्ण फोर्जिंग्स के साथ मिलकर एक जॉइंट वेंचर ‘रामकृष्ण टीटागढ़ रेल व्हील्स लिमिटेड’ के नाम से स्थापित किया है। यह संयुक्त उपक्रम चेन्नई के पास एक नया प्लांट स्थापित कर रहा है, जिसमें राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत एक्सप्रेस के पहियों का निर्माण किया जाएगा। इस समय तक ऐसे पहिए विदेशों से मंगवाए जाते थे। यह प्लांट 2026 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा और इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.28 लाख पहियों की होगी।

बीस साल के लिए मिला भारतीय रेलवे से ऑर्डर

इस प्लांट को भारतीय रेलवे से 20 सालों तक के लिए बड़ा ऑर्डर मिला है, जिसके तहत हर साल 80 हजार फोर्ज व्हील्स बनाए जाएंगे। इन पहियों का उपयोग मेट्रो, वैगन और वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों में किया जाएगा। इससे भारत में रेल व्हील निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।

अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति भी मजबूत

टीटागढ़ की उपस्थिति केवल भारत तक सीमित नहीं है। कंपनी की इटली में भी दो फैक्ट्रियां हैं – सावोना और कैसेर्टा में। भारत में इसके उत्पादन इकाइयां कोलकाता, भरतपुर (राजस्थान), हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु में स्थित हैं। यह व्यापक भौगोलिक फैलाव कंपनी को देशभर के रेलवे प्रोजेक्ट्स में समयबद्ध उत्पादन और आपूर्ति की क्षमता देता है।

निवेशकों का बढ़ा भरोसा

पैसेंजर कोच, मेट्रो ट्रेन सेट और रेल व्हील निर्माण जैसे विविध क्षेत्रों में कंपनी की मजबूत पकड़ ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। ऐसे समय में जब अधिकांश सेक्टर दबाव में हैं, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स का शेयर बाजार में मजबूती से खड़ा रहना इसकी रणनीतिक दिशा और विकास क्षमता का प्रमाण है।

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