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Swiggy के ₹10,000 करोड़ फंडरेज़िंग प्लान पर Devina Mehra का तंज: “ऐसी कहानियों का अंत आखिर कैसे होगा?”

Swiggy के ₹10,000 करोड़ फंडरेज़िंग प्लान पर Devina Mehra का तंज: “ऐसी कहानियों का अंत आखिर कैसे होगा?”

Swiggy के ₹10,000 करोड़ के नए फंडरेज़िंग प्लान पर First Global की CMD Devina Mehra ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियां बिना प्रॉफिट के लगातार फंड जुटा रही हैं और “creative valuation” के नाम पर निवेशकों को भ्रमित कर रही हैं।

Swiggy Funding News: फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म Swiggy के ₹10,000 करोड़ के नए पूंजी जुटाने के प्लान पर Devina Mehra ने LinkedIn पोस्ट में तीखी प्रतिक्रिया दी। First Global की CMD ने लिखा कि ये “endless fundraising और zero profitability” वाली कहानी अब बार-बार दोहराई जा रही है। Mehra ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसी कंपनियां earnings के बिना भी ऊंची valuations दिखाने के लिए “fancy valuation ratios” का इस्तेमाल कर रही हैं।

पुराने दौर में Fundraising थी Warning Signal

Devina Mehra ने याद दिलाया कि एक समय था जब लगातार फंड जुटाना किसी कंपनी के लिए “red flag” माना जाता था। उस दौर में पूंजी का अधिक उपयोग Return on Capital को कम कर देता था, जिससे निवेशकों को कंपनी की दक्षता पर सवाल उठाने पड़ते थे।

अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। Mehra के मुताबिक, जब कोई कंपनी हर तिमाही में ₹1,100 करोड़ का घाटा दर्ज कर रही हो, तो Return on Capital घटने की बात ही नहीं उठती — क्योंकि “return” नाम की चीज़ बचती ही नहीं। उन्होंने कहा, “अब बस पूंजी की भूख है, जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही।”

IPO का मकसद अब बदल गया है

Devina Mehra ने यह भी इंगित किया कि पब्लिक मार्केट्स की भूमिका अब पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने कहा कि पहले IPO का उद्देश्य व्यवसाय के विस्तार और नए अवसरों में निवेश के लिए पूंजी जुटाना होता था।

लेकिन अब, उनके अनुसार, IPO ज़्यादातर promoters और early investors के लिए “exit route” बन चुके हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर किसी कंपनी के पास पहले से ही लगातार घाटा है, तो जनता के पैसे से ऐसे नुकसान को क्यों भरा जा रहा है।

‘Creative Valuation’ पर Mehra का तंज

Valuation को लेकर Devina Mehra ने कंपनियों की रणनीति पर सीधा वार किया। उन्होंने कहा कि जब किसी कंपनी की earnings ही नहीं होतीं, तो उसका Price-to-Earnings ratio कभी “महंगा” नहीं दिखेगा — क्योंकि गणना ही नहीं की जा सकती।

उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में लिखा, “Valuation करने का सिर्फ एक ही सही तरीका होता है। लेकिन आज fancy valuation ratios और parameters सिर्फ एक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होते हैं — पहले से तय valuation को सही ठहराने के लिए, न कि उसे समझने के लिए।”

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