मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप पीने से 20 बच्चों की मौत हो गई, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया। WHO ने भारत से रिपोर्ट मांगी है। जांच में सिरप को मिलावटी पाया गया और चेन्नई स्थित कंपनी पर उत्पादन रोक का आदेश दिया गया है। कई राज्यों में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
New Delhi: मध्य प्रदेश में कथित रूप से दूषित (contaminated) कफ सिरप पीने से 20 बच्चों की मौत के बाद देशभर में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकार ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सात सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत सरकार से इस मामले में तत्काल स्पष्टीकरण (clarification) मांगा है।
मौतों से जुड़ी शुरुआती जांच में सामने आई चौंकाने वाली बातें
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने पुष्टि की है कि “अब तक 20 बच्चों की मौत किडनी में संक्रमण (kidney infection) के कारण हुई है, जो दूषित कफ सिरप के सेवन से जुड़ी पाई गई।” इसके अलावा, पांच अन्य बच्चे अभी भी गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं।
सरकार ने कहा है कि मौतों के सही कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है जो नमूनों की लैब टेस्टिंग और उत्पादन प्रक्रिया की बारीकी से जांच कर रही है।
WHO ने भारत से मांगा जवाब
संगठन ने सवाल उठाया है कि क्या जिस कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ (Coldref Syrup) से मौतें हुई हैं, उसे भारत के अलावा अन्य देशों में भी निर्यात (export) किया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह भारतीय अधिकारियों की पुष्टि का इंतजार कर रहा है। यदि यह साबित होता है कि वही सिरप अन्य देशों में भी पहुंचा है, तो WHO वैश्विक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट (Global Medical Product Alert) जारी कर सकता है।
चेन्नई में स्थित कंपनी पर जांच का शिकंजा
जांच में सामने आया है कि यह कफ सिरप चेन्नई स्थित एक दवा निर्माता कंपनी द्वारा तैयार किया गया था। कंपनी ने ‘कोल्ड्रिफ’ ब्रांड के तहत यह सिरप पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में सप्लाई किया था।
एक सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) के नेतृत्व में गठित SIT ने बुधवार को कंपनी के कारखाने पर छापा मारा। जांच के दौरान कई नमूने लिए गए जिन्हें केंद्रीय दवा प्रयोगशाला (CDSCO) और राज्य की लैब में भेजा गया है।
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग (Food Safety and Drug Administration Department) ने बताया कि कंपनी के सुंगुवरचत्रम (Sunguvarchatram) स्थित प्लांट से लिए गए नमूने “मिलावटी” (adulterated) पाए गए हैं।
ज्यों में प्रतिबंध लागू
राज्य सरकार ने कंपनी को तुरंत उत्पादन बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही इस कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध (ban) लगा दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार इस पूरे मामले की निगरानी कर रही है और जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय स्तर पर भी रिकॉल (recall) जारी किया जा सकता है ताकि सभी बैचों को बाजार से वापस लिया जा सके।
मृत बच्चों के परिवारों में शोक और गुस्सा
मध्य प्रदेश के कई ज़िलों में उन परिवारों में मातम पसरा हुआ है जिनके बच्चों ने इस कफ सिरप का सेवन किया था। एक पिता ने बताया कि “डॉक्टर ने साधारण खांसी-जुकाम के लिए यह सिरप दिया था, लेकिन दो दिन बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। अब हमें समझ नहीं आ रहा कि गलती कहाँ हुई।”
अस्पतालों में भर्ती बच्चों के परिजनों ने जांच में पारदर्शिता (transparency) की मांग की है ताकि दोषियों को सज़ा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
भारत की दवा उद्योग पर फिर सवाल
यह घटना भारत के दवा उद्योग (pharmaceutical industry) पर एक बार फिर सवाल खड़े करती है। भारत दुनिया में जन औषधि आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में से एक है। ऐसे में किसी दवा के दूषित पाए जाने से भारत की वैश्विक विश्वसनीयता (credibility) पर असर पड़ सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में WHO ने कई बार भारतीय निर्माताओं को गुणवत्ता मानकों (quality standards) के पालन को लेकर चेतावनी दी है। हालांकि, केंद्र सरकार और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) का कहना है कि भारत में अधिकांश दवा निर्माता उच्च मानकों पर काम करते हैं और ऐसे मामले अपवाद स्वरूप होते हैं।