वाराणसी में 47वें दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्राओं को ‘लिव इन रिलेशन’ से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाने, स्वच्छता अभियान में भागीदारी, जैविक खेती और प्राकृतिक आपदाओं पर शोध बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
UP News: वाराणसी में आयोजित 47वें दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए समाज, शिक्षा और नैतिकता से जुड़ा गहरा संदेश दिया। उन्होंने बेटियों से कहा कि उन्हें ‘लिव इन रिलेशन’ जैसे संबंधों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे रिश्ते कई बार दुखद परिणामों की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने ऐसे कई मामले देखे हैं जहां लिव इन रिलेशन में रहने के बाद लड़कियों के साथ भयानक घटनाएं हुई हैं, टुकड़ों में भरने की खबरें भी आई हैं।”
महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाने की प्रेरणा
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत आज भी समाज को सही दिशा दिखाने में सक्षम हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि गांधी जी के विचार केवल पढ़ने के लिए नहीं हैं, बल्कि उन्हें जीवन में उतारना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा, “गांधी जी के मूल्य हमें सिखाते हैं कि समाज के प्रति हमारा कर्तव्य क्या है। हमें सत्य, अहिंसा और ईमानदारी के रास्ते पर चलना होगा।”
शिक्षा केवल प्रमाणपत्र तक सीमित नहीं
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों की शिक्षा केवल डिग्री या सर्टिफिकेट तक सीमित नहीं होनी चाहिए। शिक्षा का असली उद्देश्य है – चरित्र निर्माण और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाना। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग समाज सुधार के लिए करें और इसे दूसरों तक पहुंचाएं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “एक व्यक्ति यदि कुछ अच्छा सीखता है और वह ज्ञान 80 लोगों तक पहुंचाता है, तो समाज में परिवर्तन अपने आप शुरू हो जाता है।”
स्वच्छता अभियान में योगदान देने का आग्रह
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए Swachh Bharat Abhiyan का उल्लेख करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को अपने विश्वविद्यालय और आसपास के क्षेत्रों की सफाई में सक्रिय रूप से हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि “स्वच्छता केवल शारीरिक नहीं, मानसिक और सामाजिक भी होनी चाहिए।”
प्राकृतिक आपदाओं पर शोध की आवश्यकता
राज्यपाल ने कहा कि आज की पीढ़ी को केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के मुद्दों पर भी काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंदौली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाएं यह दिखाती हैं कि हमें इस दिशा में रिसर्च (अनुसंधान) बढ़ाने की आवश्यकता है।
ऑर्गेनिक खेती अपनाने का सुझाव
आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों और शिक्षकों से कहा कि वे organic farming यानी जैविक खेती को अपनाएं और इसे अपने घरों में भी बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि “रासायनिक खादों से मुक्त खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।”
उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक खेती आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
उपस्थिति और अनुशासन पर जोर
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि “जब विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहेंगे, तभी शिक्षा का असली लाभ मिलेगा।” उन्होंने शिक्षकों से भी कहा कि वे विद्यार्थियों की उपस्थिति और प्रदर्शन पर ध्यान दें और उन्हें प्रेरित करें।
विद्यार्थियों के प्रति शिक्षकों की जिम्मेदारी
राज्यपाल ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे केवल पढ़ाने तक सीमित न रहें, बल्कि विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण और समाजिक जिम्मेदारी को समझने में उनकी मदद करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य है – एक जिम्मेदार नागरिक तैयार करना।
समाज में बदलाव लाने का आह्वान
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमें अपने समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे समाज में जागरूकता फैलाएं और सामाजिक सुधार के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि “जब युवा अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं, तभी समाज में असली परिवर्तन आता है।”
गांधी जी के सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीने की प्रेरणा
राज्यपाल ने अपने भाषण के अंत में विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि “सच्ची शिक्षा वही है जो इंसान को नैतिक बनाती है, ईमानदारी सिखाती है और उसे समाज की सेवा के लिए प्रेरित करती है।” उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन में सत्य, निष्ठा और ईमानदारी को अपनाएं और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश के विकास में योगदान दें।