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Monsoon: गर्मियों में बाढ़, सर्दियों में बदलाव! पश्चिमी विक्षोभ की नई चुनौतियां

Monsoon: गर्मियों में बाढ़, सर्दियों में बदलाव! पश्चिमी विक्षोभ की नई चुनौतियां

पश्चिमी विक्षोभ अब केवल सर्दियों तक सीमित नहीं रहा। यह गर्मियों में बाढ़, मॉनसून में आफत और सर्दियों के बदलाव का कारण बन रहा है। जलवायु परिवर्तन इसके पीछे मुख्य कारण है, जिससे सतर्क रहना जरूरी है।

Monsoon: भारत का मौसम अब पहले जैसी प्रकृति नहीं रहा। पश्चिमी विक्षोभ, जो पहले सर्दियों में बारिश और बर्फ गिराने का माध्यम था, अब गर्मियों में बाढ़ और मॉनसून में आफत ला रहा है। जलवायु परिवर्तन, स्थानीय गर्मी और प्रदूषण में बदलाव इसके मुख्य कारण माने जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड की 2013 की बाढ़ और जुलाई 2023 में दिल्ली सहित कई राज्यों में आई बाढ़ इसके गंभीर प्रभाव दिखाती हैं।

पश्चिमी विक्षोभ क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ एक हवा की प्रणाली है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। यह दिसंबर से मार्च के बीच उत्तरी भारत के हिमालयी राज्यों जैसे हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बर्फ और बारिश लाती है। यह हवाएं अरब सागर से नमी लेकर आती हैं और पहाड़ों से टकराकर बारिश बनाती हैं। सर्दियों में गिरी बर्फ गर्मियों में पिघलकर इंडस और गंगा जैसी नदियों में पानी देती है, जो करीब 50 करोड़ लोगों के लिए सिंचाई, बिजली और घरेलू जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है।

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक ए.पी. डिमरी के अनुसार, सर्दियों में होने वाली बारिश हिमालयी राज्यों के लिए जीवनदायिनी है। यह वसंत ऋतु में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है और ग्लेशियर रिचार्ज में मदद करती है।

नई स्टडी और बदलाव के संकेत

हाल ही में 'वेदर एंड क्लाइमेट डायनेमिक्स' जर्नल में प्रकाशित स्टडी बताती है कि पिछले 20 सालों में जून में पश्चिमी विक्षोभ दोगुनी बार आया है, जबकि पहले यह बेहद कम हुआ करता था। पहले यह दिसंबर से मार्च तक सीमित था, लेकिन अब मई, जून और जुलाई तक फैल गया है। यह बदलाव गर्मियों के मॉनसून के साथ मिलकर बाढ़ का कारण बन रहा है।

सर्दियों का लाभ और गर्मियों का खतरा

पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों में हिमालयी राज्यों में बर्फ के रूप में गिरता है। धीरे-धीरे पिघलकर यह पानी गर्मियों में नदियों में पहुँचता है, जिससे किसानों को सिंचाई में लाभ होता है। ग्लेशियर भी रिचार्ज होते हैं।

लेकिन गर्मियों में, जून और जुलाई में यह मॉनसून के साथ मिलकर अत्यधिक नमी लेकर आता है। 2013 में उत्तराखंड की फ्लैश फ्लड और 2023 में दिल्ली समेत कई राज्यों में आई बाढ़ इसका उदाहरण हैं।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के राजीब चट्टोपाध्याय का कहना है कि यह बदलाव चिंताजनक है। इससे मौसम की अत्यधिक घटनाएं जैसे बाढ़, तूफान और ठंड की घटनाएं बढ़ सकती हैं।

बदलाव के कारण

जलवायु परिवर्तन इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है। ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान बढ़ने से उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के बीच तापमान का अंतर कम हुआ है। इससे उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम कमजोर हुई है, जो पश्चिमी विक्षोभ को लंबे समय तक भारत में बनाए रखती थी। यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मौसम विज्ञानी कीरन हंट के अनुसार, सर्दियों में हवा सूखी होती है, इसलिए बाढ़ नहीं होती, लेकिन गर्मियों में मॉनसून के साथ मिलकर यह खतरनाक हो जाती है।

तिब्बती पठार भी तेजी से गर्म हो रहा है, जो जेट स्ट्रीम को मजबूत करता है और पश्चिमी विक्षोभ को तेज बनाता है। साथ ही, उत्तर भारत में वायु प्रदूषण कम होने से हवा गर्म हुई है और जेट स्ट्रीम मजबूत हुई है।

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