पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नवरात्रि से पहले दुर्गा पूजा पंडालों का उद्घाटन किया। बीजेपी ने पितृ पक्ष में उद्घाटन करने पर सवाल उठाए और धार्मिक रीति-रिवाजों में बदलाव का आरोप लगाया।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवरात्रि और महालया से पहले ही कोलकाता के प्रमुख दुर्गा पूजा पंडालों का उद्घाटन शुरू कर दिया है। इस कदम पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी धार्मिक रीति-रिवाजों में बदलाव करने की कोशिश कर रही हैं।
ममता बनर्जी ने पूजा पंडालों का किया उद्घाटन
ममता बनर्जी ने शनिवार को हाथीबागान और श्रीभूमि समेत कई बड़े सार्वजनिक पूजा मंडपों का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने पंडालों में प्रवेश कर रिबन काटकर समारोह का औपचारिक शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने पंडालों के सजावट और आयोजन को लेकर आयोजकों से चर्चा की और सुझाव दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका उद्देश्य पंडालों के उद्घाटन के माध्यम से श्रद्धालुओं और आम जनता को पूजा की झलक दिखाना है। उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि कभी-कभी पंडालों में बंगाली पारंपरिक गाने बजाने से स्थानीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा।
BJP ने उठाए सवाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पंडाल का उद्घाटन किया है, पूजा का नहीं। उन्होंने कहा कि पूजा का वास्तविक उद्घाटन बोधन षष्ठी से किया जाएगा। इसके बावजूद भाजपा ने इस कदम पर सवाल उठाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी खुद को विधि-विधान से ऊपर समझती हैं और पितृ पक्ष में मंडपों का उद्घाटन करना गलत है।
वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री हिंदू धार्मिक समारोहों को सांस्कृतिक समारोहों में बदलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, "जागो हिंदुओं, जागो।"
तृणमूल कांग्रेस का पलटवार
तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने केवल पंडाल का उद्घाटन किया है, पूजा का नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूजा का वास्तविक शुभारंभ महालया के दिन बोधन षष्ठी से होगा। कुणाल घोष ने कहा कि इस उद्घाटन का उद्देश्य श्रद्धालुओं को पंडालों के सजावट और तैयारी से परिचित कराना है, न कि पूजा के पारंपरिक नियमों में बदलाव करना।
राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
विशेषज्ञों का कहना है कि ममता बनर्जी का यह कदम नवरात्रि उत्सव और दुर्गा पूजा के प्रचार-प्रसार को लेकर सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लिया गया है। हालांकि, भाजपा इसे राजनीतिक और धार्मिक संवेदनाओं के उल्लंघन के रूप में देख रही है। इस विवाद ने पश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है।
इस विवाद के बीच जनता की प्रतिक्रिया भी मिली-जुली रही। कुछ लोग मुख्यमंत्री के कदम को सांस्कृतिक संवर्धन के रूप में देख रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक परंपराओं के उल्लंघन के रूप में बता रहा है।